महंगे क्रूड के आयात से बचने के लिए रिजर्व तेल का इस्तेमाल करेगी सरकार
नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय बाजार से महंगे क्रूड के आयात से बचने के लिए सरकार रिजर्व तेल का इस्तेमाल करेगी। भारतीय रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) ने सरकारी रिफाइनरियों को दिसंबर तक मंगलूरू तेल रिजर्व के आधे से ज्यादा भंडार बेचने की योजना बनाई है। हालांकि इससे तेल के दाम कम हो जाएंगे यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। आईएसपीआरएल के सीईओ एचपीएस अहूजा ने बताया कि हमने तेल विपणन कंपनियों को भंडार से आपूर्ति करना शुरू कर दिया है। यह लीजिंग बढ़ाने और नए अनुबंध करने के अवसर पैदा करने में मददगार होगा।
मंगलूरू में रिजर्व अबुधाबी से आया 3 लाख टन तेल पहले ही कंपनियों को दिया जा चुका है। साल की समाप्ति तक 4.5 लाख टन रिजर्व तेल और दिया जाएगा। विजाग स्थित रिजर्व से एचपीसीएल को भी 1.5 लाख टन तेल बेचा गया है। सरकार ने यह तेल पिछले साल 19 डॉलर प्रति बैरल के भाव खरीदा था, जिसे अब 80 डॉलर में बेचकर मुनाफा कमाएगी। आईएसपीआरएल ने इस साल 50 फीसदी भंडार बेचने का लक्ष्य रखा था। इसमें से 20 फीसदी सीधे तेल कंपनियों को दिया जाएगा, जबकि 30 फीसदी रिजर्व तेल को लीज पर देंगे। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम इस साल 60 फीसदी तक बढ़ चुके हैं। बृहस्पतिवार को ब्रेंट क्रूड 86 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया, जो अक्तूबर 2018 के बाद सबसे ज्यादा भाव है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा है कि दुनियाभर में बढ़ता ऊर्जा संकट, कम तेल उत्पादन और बढ़ती मांग से कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। दिसंबर तक ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है। ऊर्जा सचिव आलोक कुमार ने आपात स्थिति में संकट से बचने के लिए एक महीने का भंडार बनाने की जरूरत बताई है। सीआईआई के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश में मौजूदा कोयला संकट से सबक लेते हुए कम से एक महीने का भंडार बनाना बेहद जरूरी है। चीन, सिंगापुर, ब्रिटेन और यूरोप सहित कई देशों में आपूर्ति बाधित होने से आयातित कोयले की कीमतें लगातार बढ़ रहीं, जो मौजूदा संकट का प्रमुख कारण है। साथ ही इससे आयात का बोझ भी बढ़ता है। सचिव ने कहा कि 2030 तक हमारा लक्ष्य ऊर्जा में बिजली की हिस्सेदारी 10 फीसदी बढ़ाकर 28 फीसदी करना है।