नई दिल्ली। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति और समृद्धि के लिए भारत हमेशा एक साझेदार के तौर पर प्रतिबद्ध रहेगा और दोनों देशों के बीच संबंध किसी और रणनीतिक साझेदारी से अधिक गहरे हैं। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत-बांग्लादेश के बीच इतने सालों में संबंध परिपक्व हुए हैं, भारतीय कूटनीति के दो स्तंभ: पड़ोसी प्रथम और पूर्व में काम करें बांग्लादेश से हमारे संबंधों में दिखाई देते हैं। विदेश सचिव वायु सेना स्टेशन में आयोजित भारतीय वायु सेना सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। यह सम्मेलन में 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में मिली जीत के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया। इस साल को ‘स्वर्णिम विजय वर्ष’ के रूप में मनाया जा रहा है। अपने वीडियो संबोधन में उन्होंने कहा कि 50 साल पहले बांग्लादेश की स्वतंत्रता के दौरान जिन मूल्यों पर हम चले थे, आज भारत-बांग्लादेश के बीच संबंध उसी क्रम में आगे बढ़ रहे हैं। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि मुक्तिजोद्धा (बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के सेनानी) आज भी दोनों देशों के बीच पुल का काम कर रहे हैं। दोनों देशों के सुरक्षा बलों के बीच नियमित बातचीत हमारी साझा सुरक्षा चिंताओं को परिलक्षित करती है। भारत बांग्लादेश की आर्थिक प्रगति और समृद्धि तथा उनके सामाजिक चरित्र में एक साझेदार के रूप में प्रतिबद्ध है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा विकास और व्यावसायिक साझेदार है। समग्र रूप में संपर्क रखना इस साझेदारी में सबसे अहम है। उन्होंने कहा कि यह दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों का एक रोल मॉडल है। बांग्लादेश की मुक्ति के दौरान जो दोस्ती, समझ और आपसी सम्मान बना था, वह आज भी इस रिश्ते के विभिन्न पक्षों में दिखाई देता है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि हमारे लड़ाकू पायलटों की वीरता ने युद्ध के कुछ सबसे प्रेरक क्षण प्रदान किए। बांग्लादेश में सेवा दे चुके विदेश सचिव ने कहा कि मैंने ढाका पर भारतीय वायुसेना के पायलटों की डॉगफाइट्स के कई बहादुर वृत्तांतों को सुना है, जिसने बांग्लादेशी लोगों को अपनी छतों से इसे देखने के लिए बेहद प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि 1971 का युद्ध एक नैतिक और राजनीतिक जीत थी। यह भारत के लिए एक निर्णायक सैन्य जीत थी। विदेश सचिव श्रृंगला ने 1971 में पाकिस्तान की ओर से तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में अत्याचार का जिक्र करते हुए कहा कि इससे पहले इतिहास में इस क्षेत्र ने ऐसा सुनियोजित नरसंहार नहीं देखा था। इस बात का जिक्र करते हुए कि तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र महासचिव यू थांट ने अत्याचारों की निंदा की थी और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पूर्वी बंगाल से भागे लोगों को शरण देने में भारत का समर्थन करने के लिए कहा था।