नई दिल्ली। जलशक्ति मंत्रालय ने कहा है कि कुल 27,544 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित ग्रामीण बस्तियों में से 18,784 अब सुरक्षित पेय जल कवरेज में शामिल की गई हैं और इन इलाकों में से 8,032 में पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। मंत्रालय द्वारा साझा दस्तावेज के अनुसार कुल 10 फीसदी आबादी भारी धातुओं सहित रासायनिक तौर पर दूषित जल वाले प्रभावित बस्तियों में रहती है। मंत्रालय ने बताया कि चिह्नित 27, 544 बस्तियों में मार्च, 2021 तक सुरक्षित पेय जल मुहैया कराने के लिए मार्च, 2017 में राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप मिशन (एनडब्ल्यूक्यूएसएम) की शुरुआत हुई थी। अब इसे जल जीवन मिशन के तहत शामिल कर लिया गया है। बता दें कि आर्सेनिक के सेवन से त्वचा का रोग और कैंसर हो सकता है, जबकि फ्लोराइड से फ्लोरोसिस और हड्डियों में विकृति होती है। मंत्रालय ने कहा कि हालांकि राज्यों से इन बस्तियों को प्राथमिकता देते हुए यहां पाइप से जलापूर्ति की योजना बनाने के लिए कहा गया। मंत्रालय ने ग्रे वाटर के निस्तारण पर कहा कि 16 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण घरों और 40 लाख सार्वजनिक संस्थाओं में 2024 तक स्वच्छ नल जल आपूर्ति के लिए निर्देश दिए गए हैं। ग्रे वाटर उस जल को कहा जाता है जो रसोई घर और स्नान घर से प्रवाहित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार ग्रे वाटर जो की सीधे नाले में जाता है, उसे रोककर जल शोधन केंद्र में भेजा जा सकता है।