हिमाचल प्रदेश। हिमाचल में नैनो डीएपी खाद संकट को दूर करेगी। इसका ट्रायल इन दिनों प्रदेश के छह जिलों के 25 स्थानों में चल रहा है। नैनो डीएपी खाद के आने से 12-32-16 खाद की मांग में कमी आ सकती है। इफको ने नैनो यूरिया (तरल) की भांति नैनो डीएपी बनाने पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। प्रदेश के ऊना, शिमला, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा और सिरमौर जिले में ट्रायल चल रहा है। अब तक के ट्रायल में बेहतर परिणाम सामने आए हैं। नैनो डीएपी यूरिया में 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16 फीसदी फास्फोरस है। वहीं दानेदार पैकिंग में पहले से बाजार में उपलब्ध डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 फीसदी फास्फोरस होती है। ट्रायल में नैनो डीएपी से बेहतर पैदावार मिल रही है। इसकी वजह यह है कि नैनो डीएपी तरल पैकिंग में है और इसका छिड़काव करने से ज्यादातर असर फसल को लगता है। वहीं दानेदार डीएपी की आधी मात्रा मिट्टी में फंसकर रह जाती है और फसल को खाद का शत प्रतिशत फायदा नहीं मिल पाता। उधर इफको के एरिया प्रबंधक भुवनेश पठानिया ने बताया कि नैनो डीएपी के ट्रायल अंतिम चरण पर हैं। इससे बेहतरीन पैदावार के साथ खाद संकट जैसी स्थिति पैदा नहीं होगी। दानेदार डीएपी खाद की कीमत 2400 रुपये है और सब्सिडी के साथ यह 1150 रुपये में उपलब्ध है। वहीं नैनो डीएपी की 500 मिलीलीटर की कीमत 400 रुपये तक रहने का अनुमान है। यह आठ कनाल जमीन के लिए काफी है और इसका इस्तेमाल 12-32-16 और यूरिया दोनों की जगह हो सकता है।