नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने सोशल मीडिया सहित न्यायाधीशों पर बढ़ते हमलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कानून लागू करने वाली एजेंसियों को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायपालिका के लिए गंभीर चिंता का विषय न्यायाधीशों पर बढ़ते हमले हैं। न्यायिक अधिकारियों पर शारीरिक हमले बढ़ रहे हैं। फिर मीडिया में न्यायपालिका पर हमले होते हैं, खासकर सोशल मीडिया पर। उन्होंने कहा कि हमले प्रायोजित प्रतीत होते हैं। कानून लागू करने वाली एजेंसियों, विशेष रूप से केंद्रीय एजेंसियों को ऐसे दुर्भावनापूर्ण हमलों से प्रभावी ढंग से निपटने की जरूरत है। सरकारों से एक सुरक्षित माहौल बनाने की उम्मीद की जाती है, ताकि न्यायाधीश और न्यायिक अधिकारी निडर होकर काम कर सकें। मुख्य न्यायाधीश रमण, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दिल्ली के विज्ञान भवन में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित दो दिवसीय संविधान दिवस समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कानूनी पेशे के रूप में अपने अनुभव के आधार पर ‘न्यायपालिका के भारतीयकरण’ का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि न्यायिक प्रणाली, जैसा कि आज हमारे देश में मौजूद है, अनिवार्य रूप से अभी भी औपनिवेशिक प्रकृति की है। इसमें सामाजिक वास्तविकताओं या स्थानीय परिस्थितियों का सरोकार नहीं है। प्रक्रियाओं, तर्कों व फैसलों की भाषा और खर्च सभी आम आदमी को न्यायिक प्रणाली से अलग करने में योगदान दे रहे हैं। लोगों को अदालतों का दरवाजा खटखटाने में आत्मविश्वास महसूस करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायिक अधिकारियों की मौजूदा रिक्तियों को भरने, अधिक से अधिक पदों के सृजन, सरकारी वकीलों और स्थायी वकील के रिक्त पदों को भरने, आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के द्वारा लंबित मामलों के ‘खतरनाक’ मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण का भी सुझाव दिया।