नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह देश में चल रहे कोविड टीकाकरण पर संदेह करके गलत संदेश नहीं भेज सकता, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी वैक्सीन के पक्ष में बात की है और अन्य देश भी ऐसा कर रहे हैं। शीर्ष अदालत हालांकि उस याचिका की परीक्षण करने के लिए सहमत हो गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि टीकाकरण के लिए जाने वाले स्वस्थ लोगों गिर गए और उनकी मृत्यु हो गई। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि हम यह संदेश नहीं भेज सकते कि टीकाकरण में कुछ समस्या है। हम इस पर संदेह नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि देश भर में सैकड़ों मौतें हुई हैं, जो टीके से जुड़ी हैं। हालांकि पीठ ने कहा कि इसके लिए वैक्सीन जिम्मेदार नहीं हो सकता है। वकील ने अपनी ओर से कहा कि इसे रिकॉर्ड करने के लिए हमारे पास एक निगरानी प्रणाली होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि 2015 के एईएफआई(टीकाकरण के बाद पड़ने वाले दुष्परिणामों से संबंधित) दिशानिर्देशों को 2020 में संशोधित किया गया था, जो केवल संबंधित व्यक्ति या प्रभावित परिवार की शिकायत पर निर्भर करता है। यह सिर्फ पैसिव निगरानी के लिए है। पीठ ने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि हमने भारत में एईएफआई के लिए दिशानिर्देश तैयार नहीं किए हैं। हमारे पास एक सिस्टम है। हमेशा असहमत होने के कारण होते हैं लेकिन हम उनके अनुसार अपनी नीति नहीं बना सकते। पीठ ने कहा कि दुनिया एक अभूतपूर्व महामारी की चपेट में है जो हमने अपने जीवन में नहीं देखी। यह सर्वोच्च राष्ट्रीय महत्व है कि हम टीकाकरण करें। पीठ ने कहा कि पांच या दस साल के अध्ययन होंगे, लेकिन इस स्तर पर हम टीकाकरण नहीं करने पर वहन नहीं कर सकते। हमें लोगों को सुरक्षित रखना है और मृत्यु दर को कम करना है।’ पीठ ने यह भी कहा कि दुनिया के हर देश में कई टीके हैं। विस्तृत सुनवाई के बाद पीठ ने गोंजाल्विस को सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में याचिका की प्रति देने के लिए कहा। शीर्ष अदालत अब इस मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई करेगी।