हिमाचल प्रदेश। वर्ष 2022 के चुनावी साल से ठीक पहले प्रदेश सरकार ने पंजाब की तर्ज पर कर्मचारियों के वोट बैंक पर निशाना साधते हुए उनके लिए खजाना खोल दिया है। बेशक, हिमाचल की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं चल रही है और सरकार करीब 62 हजार करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबी है। फिर भी सीएम जयराम ठाकुर ने कर्मचारियों और पेंशनरों के हिस्से का बजट बढ़ाकर दिलेरी दिखाई है। इस फैसले से अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव लक्षित किए हैं। हिमाचल में कर्मचारी वोट बैंक काफी बड़ा है। जैसे ही मुख्यमंत्री ने नए वेतनमान और भत्ते देने सहित अनुबंध कार्यकाल घटाकर दो साल करने की घोषणा की तो पीटरहॉफ शिमला का सभागार तालियों और नारों से गूंज उठा। हाल में उपचुनाव में भाजपा की एक लोकसभा सीट और तीन विधानसभा सीटों पर हार हुई है। इस हार से सबक लेते हुए जयराम सरकार हिमाचल के लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों को खुश करने में जुट गई है। प्रदेश में कर्मचारियों और पेंशनरों का वोट बैंक सियासत में अहम भूमिका निभाता है। कर्मचारियों और पेंशनरों का पंजाब के छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर वेतनमान बढ़ाने, अनुबंध अवधि घटाने और अन्य मसलों पर इस बैठक के शुरू होने से पहले ही फैसले ले लिए गए थे। बाकी मामलों पर मुख्य सचिव ने भी तफसील से चर्चा की है। सीएम जयराम ने यह बड़ी घोषणा तो कर दी है, मगर अब पतली माली हालत में इन घोषणाओं को धरातल पर उतारना बड़ी चुनौती होगा। जेसीसी में जिन मांगों पर निर्णय नहीं हो पाए, उन्हें अनदेखा करना भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा।