सेना को अब समदो बॉर्डर तक पहुंचने के लिए नहीं करनी होगी मालिंग की चढ़ाई
हिमाचल प्रदेश। चीन से सटे समदो बॉर्डर तक पहुंचने के लिए सेना को अब मालिंग की चढ़ाई नहीं करनी होगी। किन्नौर होकर लिओ बाईपास सड़क से होते हुए बिना परेशानी साल भर स्पीति घाटी दुनिया के लिए खुली रहेगी। साढ़े 11 किलोमीटर लंबे लिओ बाईपास के निर्माण पर केंद्र और राज्य सरकार करीब 37 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। लिओ बाईपास बनने से काजा और समदो बॉर्डर से शिमला के बीच करीब 25 किमी की दूरी कम होगी। अभी शिमला से काजा और समदो की दूरी करीब 505 किलोमीटर है, जो बाईपास बनने के बाद 480 किमी रह जाएगी। सफर में लगभग तीन घंटे कम लगेंगे। हालांकि लिओ बाईपास का निर्माण करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुआ था, लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से सड़क मार्ग का निर्माण अधर में लटक गया। सड़क का निर्माण लोनिवि काजा डिवीजन की देखरेख में होगा। लिओ बाईपास हालांकि 10 किमी तक तैयार हो चुका है। शेष 1700 मीटर सड़क निर्माण के लिए लोनिवि जल्द निविदा बुलाने जा रहा है। लोनिवि काजा के अधिशासी अभियंता टशी ज्ञामजो ने बताया कि अब तक इस मार्ग के निर्माण में करीब 27 करोड़ खर्च हो चुके हैं। शेष 1700 मीटर सड़क निर्माण पर लगभग 10 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। बताया कि स्पीति नदी पर पुल लांचिंग का काम अगले साल पूरा कर लिया जाएगा। टशी ज्ञामजो ने बताया कि लिओ बाईपास बनने से शिमला से काजा की दूरी 25 किमी घटेगी। सफर में तीन घंटे कम लगेंगे। सड़क बनने के बाद सेना और आम लोगों को मालिंग की 10 किलोमीटर की चढ़ाई पार नहीं करना पड़ेगी। लिओ से यह मार्ग किन्नौर के चांगो गांव के समीप मिलेगा। शुरुआती दौर में लोनिवि काजा और किन्नौर दोनों ने मिलकर बाईपास का निर्माण शुरू किया, लेकिन बाद में लोनिवि किन्नौर ने हाथ खींच लिए।