पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि हमारे देवताओं ने शस्त्र और शास्त्र दोनों हाथ में रखा है और जिस देवता ने केवल शस्त्र ही हाथ में रखा है अथवा शास्त्र ही हाथ में रखा है उस देवता की पूजा अधिक नहीं हो रही है। ब्रह्मा जी के ज्यादा मंदिर नहीं है भारत में। क्योंकि हाथ में केवल माला ही है, वेद ही है। शस्त्र नहीं है। शस्त्र और शास्त्र का समन्वय करके हम चलें। यहां शस्त्र का आशय शक्ति से है और शास्त्र का आशय भक्ति से है। आवश्यक है कि हम शक्ति संपन्न बने और भक्ति संपन्न भी बने। दशा हमारी आज इसलिये खराब है कि या तो हम गतिशीलता खो चुके हैं या तो हमारी गतिशीलता गलत दिशा में है।
हमारा जो परम लक्ष्य है वह यही होना चाहिए कि आतंकवाद का जो सही जवाब है। वह
अध्यात्मबाद ही है। अध्यात्मबाद पहुंचने के बाद ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ वाली भावना आती है। एक महोदय कह रहे थे कि हम इतने बर्षों पर्यन्त गुलाम रहे इसलिये हम कमजोर हो गये। वरना हम भी कुछ थे। लेकिन हकीकत उल्टी है। हम गुलाम हुए इसलिए कमजोर नहीं हुए, हम कमजोर हुए, इसलिए हम गुलाम हुए। गुलाम होने से कोई कमजोर नहीं होता। यदि उसके भीतर की चेतना जागृत है तो एक न एक दिन वह गुलामी की जंजीर को तोड़कर मुक्त हो जायेगा। जब आदमी कमजोर हो जाता है, समाज कमजोर हो जाता है, राष्ट्र कमजोर हो जाता है, तो फिर इसको गुलाम होना पड़ता है। कमजोर होना भी पाप है। जैसे चोरी करना पाप है, बेईमानी करना पाप है, झूठ बोलना पाप है। पाप की सूची में एक बात और लिख लें, कमजोर होना भी पाप है। हमारे देश का हर नागरिक इस पाप से मुक्त हो और हम अपने आप को मजबूत बनायें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)।