नई दिल्ली। कोरोना काल में एमएसएमई को बचाने के लिए सरकार ने 3.5 लाख करोड़ रुपये की इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम की घोषणा की थी जो एमएसएमई के लिए वरदान साबित हुई थी। बढ़ते ओमिक्रोन को देखते हुए सरकार इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की अवधि को बढ़ा सकती है जिसकी अवधि आगामी 31 मार्च को खत्म हो रही है लेकिन आगामी जून तक बढ़ाया जा सकता है। इसके तहत 100 फीसद लोन बिना गारंटी के एमएसएमई को दिया जाता है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, बजट में छोटे उद्यमियों को लोन के भुगतान या रिपेमेंट का भी मोरोटोरियम दिया जा सकता है। संभावना जतायी जा रही है कि आगामी मार्च तक ओमिक्रोन का प्रभाव रहेगा।
कई राज्यों में विभिन्न प्रकार की पाबंदियां शुरू हो गई हैं, जिससे सेवा क्षेत्र के प्रभावित होने की आशंका तेज हो गई है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार, सेवा क्षेत्र को लोन के भुगतान में मोरोटोरियम दिया जा सकता है। एमएसएमई के बीच डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ाने के लिए सरकार इंसेंटिव की भी घोषणा कर सकती है, क्योंकि एमएसएमई का ट्रांजेक्शन पूरी तरह से डिजिटल होने पर उन्हें बैंकों को लोन देने में आसानी होगी। भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार कहते हैं कि ईसीएलजीएस से 13.5 लाख एमएसएमई को बचा लिया गया। 1.5 करोड़ नौकरियां बच गईं और 14 फीसदी एमएसएमई को एनपीए घोषित होने से बचा लिया गया।
कोरोना काल में शुरू की गई ईसीएलजीएस स्कीम के तहत 80 फीसदी एमएसएमई इसलिए लोन नहीं ले सकीं क्योंकि वे शर्त को पूरा नहीं करती थीं या उन्हें उस समय उसकी जरूरत नहीं थी। नए एमएसएमई या कभी लोन नहीं लेने वाले उद्यमी भी ईसीएलजीएस के तहत लोन नहीं ले सकते थे। देश में 6 करोड़ से अधिक एमएसएमई है, जहां 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है और इन सबके विकास में ही देश का विकास है क्योंकि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई का योगदान 30 फीसद और देश के निर्यात में 40 फीसद है।