पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्या मोरारी बापू ने कहा कि श्री शिव महापुराण कथा चतुर्थ दिवस- कथा स्थल-श्री मंशापूर्ण भूतेश्वर महादेव मंदिर टोंक। सानिध्य-श्री घनश्याम दास जी महाराज गोवर्धन पुष्कर, दिनांक 25-2-2022 से 5-3- 2022 तक।कथा का समय-दोपहर 12:30 बजे से 4:30 बजे तक। कथा वक्ता-श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मुरारी बापू कथा का विषय-भगवान शिव पार्वती से संपूर्ण सृष्टि का क्रम वर्णन, भगवती सती और शिव, (सतीखंड) भगवती पार्वती के अवतरण पर्यंत कथा का गान किया गया। सत्यं परं धीमहि- परम सत्य का हम ध्यान करते हैं। सत्य एक ही है। उस सत्य को आप जिस नाम से पुकारना चाहो पुकारो। कृष्ण कहो, राम कहो, शिव कहो, दुर्गा कहो, परमात्मा जो कहो। विवेकी पुरुष उस सत्य को अनेक नामों से पुकारते हैं। धर्म का स्वरूप- आत्मनः प्रतिकूलानि परेषां न समर्चयेत। जो आपको अच्छा नहीं लगता ऐसा व्यवहार दूसरों के साथ मत करो। धर्म राग द्वेष की आग फैला ही नहीं सकता। नफरत की आग को बुझाये वही धर्म है। प्रेम में जो दीक्षित करे वह धर्म है। अपने पराये का भेद मिटा दे वही धर्म है। सिया राम मय सब जग जानी। करौं प्रणाम जोरि जुग पानी। मनुष्य स्वरूप- मनुष्य व्याघ्र नहीं बन सकता, न सिंह ही बन सकता है। क्रमानुसार इस जन्म में ईश्वर ने मनुष्य का शरीर दिया है तो वह वास्तव में मनुष्य ही रहेगा। गुरु कृपा- जैसे निद्रा में स्वप्न दिखाई देता है और जागने पर वह मिथ्या ही बन जाता है। उसी तरह यह जाग्रत का संसार भी अज्ञान काल में दिखाई देता है और सत् भी भासता है। मगर अपने स्वरूप में जागने पर मिथ्या ही भाषा है। स्वप्न को निद्रा से उठते ही टूट जाता है मगर यह संसार तो अनादि है, अनादि अविद्या है। इसकी आसक्ति गुरुकृपा, ईश्वर कृपा के बिना होना असंभव है। गंगा समुद्र की ओर बढ़ती हुई जाती है। हमारे प्रेम की धारा भी भगवान् की ओर बहती जाए तो उस प्रीति का नाम है भक्ति। भगवान् में हुए प्रेम को ही भक्ति कहते हैं। हमारे प्रेम का लक्ष्य परमात्मा है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।