चंडीगढ़। शहीद-ए-आजम को लेकर खटकड़कलां गांव में डिजिटल लाइब्रेरी बनने जा रही है। इसकी तैयारियों में पूरा गांव जुटा हुआ है। इस महत्वपूर्ण काम के लिए सेवानिवृत्त प्रोफेसरों के साथ ही गांव के कुछ विद्वान लोगों का पैनल विश्व भर से शहीद भगत सिंह से संबंधित डाटा जुटाने का काम कर रहा है। भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह के साथ ही राज्य की दूसरी संस्थाएं इस मुहिम को अंतिम रूप देने में जुटी हुईं हैं।
भगत सिंह क्रांतिकारी देशभक्त ही नहीं बल्कि एक अध्ययनशील विचारक, कलम के धनी, दार्शनिक, चिंतक, लेखक, पत्रकार और महान व्यक्ति थे। उन्होंने 23 वर्ष की छोटी सी आयु में फ्रांस, आयरलैंड और रूस की क्रांति का विषद अध्ययन किया था। हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, संस्कृत, पंजाबी, बंगला और आयरिश भाषा के मर्मज्ञ चिंतक और विचारक भगत सिंह भारत में समाजवाद के पहले व्याख्याता थे।
भगत सिंह अच्छे वक्ता, पाठक और लेखक भी थे। उन्होंने अकाली और कीर्ति दो अखबारों का संपादन भी किया। भगत सिंह जेल में करीब दो साल रहे। इस दौरान वे लेख लिखकर अपने क्रांतिकारी विचार व्यक्त करते रहे। जेल में रहते हुए उनका अध्ययन बराबर जारी रहा। उस दौरान उनके लेख व परिवार को लिखे पत्र आज भी उनके विचारों के दर्पण हैं।