पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि श्री राम नाम की महिमा प्रत्येक में प्रभु सबको प्रभु का रूप मानकर उनके साथ विवेक एवं सद्भाव से व्यवहार करना चाहिए। प्रत्येक में प्रभु को देखने वाला हमेशा उनके सानिध्य का अनुभव करता है। प्रभु का वियोग ही सबसे बड़ा रोग है। प्रत्येक में प्रभु का दर्शन करना ही उसकी दवा है। प्रभु एवं परोपकार के लिए जो पीड़ा सहता है, उसे रोना नहीं पड़ता। जो दूसरे की भूख मिटाता है, ईश्वर ऐसे व्यक्ति पर कृपा-दृष्टि करता है। जो प्रभु एवं परोपकार के लिए करता है उसे कभी रोना नहीं पड़ता। निराधार के सहारे बनो सदाचार के प्यारे बनो। दूसरे के सुख में सुखी बनो। आपके आंगन में आने वाला भिखारी भी प्रभु का स्वरूप है। उसे झूठा नहीं देना चाहिए। ग्राहक में प्रभु बैठे हैं यह समझ कर व्यपारी को व्यापार करना चाहिए। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम काॅलोनी, सेवा कुंज के पास, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।