लखनऊ। लाउडस्पीकर प्रकरण को लेकर जहां एक ओर देश के कई राज्यों में सियासत तेज हो गई हैं, वही उत्तर प्रदेश राज्य में कभी सबसे विवादित शहर रहे अयोध्या ने एक सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश की है। धर्म नगरी अयोध्या में मंदिर और मस्जिद प्रशासन ने आपसी सहमति से लाउडस्पीकर को हटाने का निर्णय कर लिया है। यह बहुत ही सराहनीय और अनुकरणीय बात है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तय मानकों का उल्लंघन कर बजाए जाने वाले लाउडस्पीकर को हटाने का निर्देश देकर ध्वनि प्रदूषण को कम करने और मानव स्वास्थ्य के हित में बड़ा कदम उठाया है। इस आदेश का यह असर है कि कई जगहों से लाउडस्पीकर उतरवा दिए गए तो कई जगहों पर लाउडस्पीकर के आवाज कम कर दिए गए। इसी बीच धर्म नगरी अयोध्या ने एक अनोखी मिसाल पेश की है।
धर्म कोई स्पर्धा का विषय नहीं है। यह उपासना का विषय है। पूजा पाठ करने से किसी को मनाही नहीं है लेकिन पूजा पाठ भी इस तरह का होना चाहिए जिससे किसी दूसरे की भावना आहत न हो। किसी दूसरे को परेशानी हो और ऐसे में हम अपना पूजा-पाठ धर्म करें तो इसे अनुचित ही कहा जाएगा। तेज ध्वनि भी ध्वनि प्रदूषण का एक सबसे बड़ा कारण है। यह हृदय रोगियों के लिए सबसे घातक भी है।
हम वायु व जल प्रदूषण से तो जूझ ही रहे हैं। ऐसे में अब अगर ध्वनि प्रदूषण का खतरा बढ़ता गया तो मानव का जीवन बिल्कुल दुश्वार हो जाएगा। आज के परिवेश में कदम कदम पर खतरा मंडरा रहा है और यह खतरा आगे और भी गंभीर हो जाएगा। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बन रही है कि ध्वनि प्रदूषण को कम करने की दिशा में एक जिम्मेदार नागरिक जैसा अपने कर्तव्य का निर्वहन करें। ध्वनि प्रदूषण को कम करने की दिशा उत्तर प्रदेश से अन्य राज्यों को भी कुछ ना कुछ सबक लेना चाहिए।