नई दिल्ली। नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) शीघ्र ही देश में लागू कर दिया जाएगा, यह बात केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल की यात्रा के दौरान स्पष्ट रुप से कही है। उन्होने कहा कि, सीएए वास्तविकता था, है और रहेगा। सिलीगुड़ी की एक जनसभा में उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी समाप्त होने के बाद हम पूरे देश में सीएए लागू करेंगे, जबकि तृणमूल कांग्रेस यह अफवाह फैला रही है कि यह कानून धरातल पर लागू होने वाला नहीं है। यह सभी दलों का भ्रम है।
श्री शाह ने कहा कि घुसपैठ के जरिये यहां की आबादी का स्वरूप बदलने की छूट नहीं दी जा सकती है। निश्चित रूपसे सीएए लागू करने के सन्दर्भ में ये जो बातें कही गई हैं उस पर पूरी तरहसे भरोसा किया जा सकता है, लेकिन इसमें महामारी के कारण विलम्ब हो गया है। सीएए देश की जरूरत है। इसे हर कीमत पर लागू किया जाना चाहिए। अवैध घुसपैठ के विरुद्ध यह एक मजबूत कानूनी हथियार है। यथाशीघ्र इसका इस्तेमाल दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ करना आवश्यक है, क्योंकि घुसपैठिये देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं।
नागरिकता (संशोधन) यह कानून नौ दिसम्बर 2019 को लोकसभा से और 11 दिसम्बर 2019 को राज्यसभा से पारित हो चुका है। 12 दिसम्बर 2019 को राष्ट्रपति से स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन गया है। 10 जनवरी 2020 को अधिसूचना जारी होने के साथ यह प्रभावी भी हो गया लेकिन दो वर्षों में इससे सम्बन्धित कुछ अन्य आवश्यक कार्य पूरे नहीं किये जा सके। केन्द्र सरकार ने अक्तूबर 2020, फरवरी 2021 और मई 2021 में इसके लिए तीन बार समय भी मांगा।
सीएए को लेकर देश में दिल्ली सहित अनेक स्थानों पर विरोध हुए लेकिन अब इसे दृढ़ता से लागू करने की जरूरत है। इस संशोधन कानून में प्रावधान किया गया है कि अफगानिस्तान, बंगलादेश और पाकिस्तान से आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मो के प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जायगी। इसके लिए भारत में रहने की अवधि 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दी गयी है। भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आये गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम आसान कर दिए गए हैं, जिससे कि ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता दी जा सके।