नई दिल्ली। यह एक सुखद बात है कि देश की बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लक्ष्य तक पहुंचा जा चुका है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) की हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक देश की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.2 से घटकर दो फीसदी पर आ गई है, जो आबादी पर नियंत्रण की महत्वपूर्ण प्रगति का संकेत है। यह तुलना परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के चौथे और पांचवें दौर के बीच की है।
प्रजनन दर प्रति महिला के जीवनकाल में संतानों के जन्म की औसत संख्या से मापा जाता है। किसी देश की वर्तमान आबादी को बनाये रखने के लिए टीएफआर 2.10 के स्तर पर होनी चाहिए। देश के केवल पांच राज्यों- बिहार में 2.78, मेघालय में 2.71, उत्तर प्रदेश में 2.35, झारखण्ड में 2.26 और मणिपुर में 2.17 है जहां प्रजनन दर क्षमता से अधिक है।
प्रजनन दर घटने का मुख्य कारण है कि 67 प्रतिशत लोगों के पास गर्भ निरोधक साधन पहुंच रहे हैं। हालांकि अब भी नौ फीसदी परिवारों के पास यह साधन नहीं है, जबकि आर्थिक स्थिति अत्यधिक कमजोर होने से निर्धन श्रेणी के परिवारों में से 11.4 प्रतिशतकी परिवार नियोजन सम्बन्धी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती। सरकार को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है ताकि गर्भ निरोधक साधन तक सबकी पहुंच हो सके।
साथ ही इन साधनों के उपयोग को लेकर पुरुषों और महिलाओं में फैली भ्रांतियां दूर होनी चाहिए। लगभग 35.1 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि गर्भ निरोधक अपनाना महिलाओं का ही काम है, जबकि 19.6 प्रतिशत पुरुष इसे महिलाओं की स्वच्छन्दता बढ़ाने वाले मानते हैं। वहीं कुछ कट्टरपंथी धर्म की आड़ में इसका विरोध करते हैं जो उचित नहीं है। देश में टीएफआर का दो पर बने रहने के मायने यह है कि यह प्रजनन दर स्तर से नीचे है।
इससे अब आबादी घटेगी। बढ़ती आबादी देश की सबसे बड़ी समस्या है। इसे नियंत्रित करना आवश्यक है। परिवार नियोजन कार्यक्रम के कई दशक बाद इस सफलता को पाने में कामयाबी मिली है। इसे बनाये रखने के लिए हर सम्भव व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए एक समान कानून बनाने की जरूरत है, तभी स्थिति में सुधार हो सकता है।