हेल्थ। हड्डियां इंसान के शरीर का आधार होती हैं जिसपर पूरा शरीर टिका होता है। इनमें हल्की सी भी दरार पड़ जाना तकलीफ का कारण बन जाता है। यही कारण है कि फ्रेक्चर होने पर बहुत तेज दर्द होता है। इस टूटी हुई हड्डी के ठीक होने में भी समय लगता है।
हड्डी के जुड़ने के लिए प्लास्टर से लेकर सर्जरी तक कई ट्रीटमेंट होते हैं लेकिन इसके साथ कुछ ऐसे सामान्य उपाय भी होते हैं जिन्हें अपनाकर हड्डी को जल्दी जुड़ने और घाव को जल्दी भरने में मदद मिल सकती है। ये उपाय इलाज के अलावा होते हैं और इलाज के साथ ही चलते हैं। आइए जानते हैं कुछ उपायों के बारे में।
यदि हड्डी टूटने पर प्लास्टर चढ़ाया गया है तो इसकी अवधि टूटी हुई हड्डी की स्थिति और प्रकार के हिसाब से होती है। उदाहरण के लिए कलाई या लोअर आर्म के हिस्से में हुए फ्रेक्चर को ठीक होने में 4-6 हफ़्तों का समय लग सकता है। जबकि पैरों के हिस्से में हुए बड़े फ्रेक्चर को पूरी तरह ठीक होने में 5-6 महीने का समय भी लग सकता है। यदि फ्रेक्चर वाली जगह पर सपोर्ट के लिए कोई तार, प्लेट या स्क्रू लगाया गया है या सर्जरी की गई है तो हीलिंग का समय और भी बढ़ सकता है।
ठीक होना करता है निर्भर:-
हड्डियों के जुड़ने की प्रक्रिया मरीज की उम्र से लेकर उसकी शारीरिक अवस्था तक शामिल हो सकती है। शारीरिक अवस्था से तात्पर्य इस बात से है कि मरीज का शरीर भीतर से कितना फिट है। यदि मरीज पहले से किसी बीमारी या समस्या से ग्रसित है तो फ्रेक्चर को हील करने के साथ ही उस समस्या को नियंत्रण में रखना भी जरूरी होता है, क्योंकि इसके बिना शरीर की हीलिंग प्रोसेस धीमी हो सकती है।
साथ ही यदि कोई खुला घाव है तो संक्रमण का खतरा भी बढ़ सकता है। यह भी एक तथ्य है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों की हड्डियां जल्दी जुड़ती हैं। इसलिए बड़ों को अधिक सतर्कता रखने की जरूरत होती है।
जब डॉक्टर आपको कहते हैं कि आपको फ़्रेक्चर वाली जगह को बिलकुल स्थिर रखना है तो यह बात बहुत मायने रखती है। आपने कई लोगों को पैर में हुए फ्रेक्चर के बाद अस्पताल के बिस्तर पर सपोर्ट के साथ एक ही पोजीशन में लेटे हुए देखा होगा।
प्लास्टर लगाने या अन्य सपोर्ट देने वाली डिवाइस का प्रयोग इसीलिए किया जाता है। ये सपोर्ट इसलिए भी होता है कि हड्डी जैसी पहले थी उसी स्थिति में जुड़े। ज्यादा हिलने डुलने से हड्डी का स्वरूप बदल सकता है और कई बार तो हड्डी ठीक से जुड़ भी नहीं पाती। इसलिए कई लोगों को प्लास्टर दुबारा भी चढ़ाया जाता है।
इससे न केवल परेशानी बढ़ती है बल्कि ठीक होने में लगने वाला समय भी बहुत बढ़ जाता है । तो भले ही आपको लग रहा हो कि कुछ दिनों में दर्द में कमी है तो भी जब तक डॉक्टर न कहें फ्रेक्चर वाली जगह को हिलाएं डुलाएँ नहीं। जब चोट ठीक हो जाए तो धीरे धीरे फिजियोथैरेपी की मदद से उस हिस्से को मूव करें।
-शोध ये ,मानते हैं कि शरीर में मौजूद खनिज और विटामिनों की कमी टूटी हुई हड्डी के जल्दी ठीक होने में बाधा खड़ी कर सकती है।डॉक्टर तो आपको दवाई के साथ कैल्शियम और विटामिन के सप्लीमेंट कुछ समय के लिए देंगे । उनके अलावा अपनी डाइट में भी दूध, दही, अंडे, हरी सब्जियां आदि जरूर शामिल करें। रोजाना कुछ देर धूप में बैठें और नारियल का पानी भी नियमित पीएं। मैदा, चावल, गेहूं की जगह बाजरा, ज्वार, आदि का सेवन अधिक करें क्योंकि फ्रेक्चर के दौरान एक ही स्थिति में रहने से आपका वजन तेजी से बढ़ेगा और यह हड्डियों के लिए ज्यादा मुश्किल खड़ी कर देगा। सूप, फल, छाछ, दलिया, साबूदाना खीर आदि जैसी चीजों का सेवन अधिक करें। डॉक्टर की सलाह से कॉड लिवर ऑइल भी लिया जा सकता है।
-कहते हैं कि व्यायाम केवल शरीर को तंदरुस्त ही नहीं रखता बल्कि अंदरूनी मरम्मत की प्रक्रिया को तेज करने में भी मदद करता है। फ्रेक्चर के मामले में व्यायाम का यह असर दिखाती है फिजियोथैरेपी। इसलिए फिजियोथैरेपी को गंभीरता से लें। ऐसा अक्सर देखा जाता है कि मरीज अस्पताल में रहने तक तो फिजियोथैरपी पर ध्यान देते हैं लेकिन घर आने के बाद धीरे धीरे उसे कम कर देते हैं, जबकि घर के लिए भी कुछ सामान्य एक्सरसाइज डॉक्टर द्वारा बताई जाती हैं। इन एक्सरसाइज को निरंतर जारी रखें। ये हड्डियों को मजबूती देने के साथ ही मसल्स की ग्रिप को अच्छा बनाएंगी और आप सामान्य संचालन को फिर से शुरू कर सकेंगे। यह फ्रेक्चर को जल्दी ठीक होने में भी मदद करेंगी।