नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र आज सोमवार से शुरु हो गया, जो 12 अगस्त तक चलेगा। इस बार सत्र के दौरान कुल 18 बैठकें होगी और इसके लिए 108 घंटे का समय निर्धारित किया गया है। सरकारी कार्यों के लिए 62 घंटे उपलब्ध होंगे। मानसून सत्र में 24 विधेयक सदन में प्रस्तुत किए जाएगे। रविवार को परम्परा के अनुसार सर्वदलीय बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की और शनिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सभी दलों के सांसदों के साथ बैठक कर सदन के सुचारू संचालन में सहयोग करने का आग्रह किया।
संसद का मानसून सत्र इस बार अत्यन्त ही महत्वपूर्ण और कुछ अलग भी है। सदन की मर्यादा को ध्यान में रखते हुए जहां कुछ नए शब्दों के प्रयोग से परहेज करने की बात कही गई है, वहीं संसद परिसर में धरना, विरोध प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया है। इससे विपक्ष कुछ असहज हो गया है। संसद के सुचारू संचालन के लिए सत्ता पक्ष की ओर से हर बार आग्रह किया जाता है लेकिन संसद में शोर-शराबा और व्यवधान आम बात हो गई है। कभी ऐसे भी अवसर आये हैं कि लगभग पूरा सत्र बिना सरकारी कामकाज के ही समाप्त हो गया, जो उचित नहीं है।
संसद का समय बहुमूल्य है और इसे बर्बाद करना राष्ट्रहित में नहीं है। इस बार विपक्ष ने भी अग्निपथ योजना, बेरोजगारी, महंगाई और किसानों के मुद्देपर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है । इन मुद्दों पर सदन में गरमा- गरमी की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। सरकार भी हर स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तैयारी के साथ सक्रिय रहेगी। अधिक से अधिक सरकारी कार्य पूरे किए जाय इसके लिए पूरा प्रयास किया गया है।
ज्वलन्त मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन इसमें मर्यादा और शालीनता पर भी विशेष ध्यान देना होगा। सदन का सुचारू संचालन सत्ता और विपक्ष दोनों का सामूहिक दायित्व है। इसलिए इसमें पारस्परिक सहयोग भी आवश्यक है। उम्मींद है सत्ता और विपक्ष दोनों ही संसद सत्र के लिए निर्धारित समय का पूरा सदुपयोग करेंगे।