पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु दोनों शंकर के पास आये और अपना-अपना दावा पेश करने लगे और अपने अपने कार्य का महत्व बताते हुए पहली पूजा का अधिकार मांगने लगे। शंकर जी ने कहा-विष्णु बड़े हैं या ब्रह्मा बड़े हैं, इस बारे में मैं यदि कोई निर्णय दूंगा, तब दूसरे को बुरा लगेगा, इसलिए मैं यह ज्योति प्रगट कर देता हूं, इस ज्योति का ओर छोर जो देख आये, वह बड़ा है। ज्योति के एक तरफ ब्रह्मा चले जायें और दूसरी तरफ विष्णु चले जायें, जिसको किनारा मिल जाये वह बड़ा है। शंकर जी ने ज्योति प्रगट कर दी और बताया कि यह शिवलिंग है। भगवान श्रीमन्नारायण ने सोचा, इस ज्योति के रूप में भगवान् शिव ही प्रगट हुए हैं। वेद जिन्हें अनादि और अनन्त कहते हैं। अनादि की आदि और अनंत का अंत किसने पाया है, मिल ही नहीं सकता। श्रीमन्नारायण बिना आदि को प्राप्त किये वापस लौट आये। भगवान् शंकर ने श्रीमन्नारायण से पूछा, कहो नारायण जी आपको आदि मिल गई? उन्होंने कहा- प्रभु! अनादि की आदि कहां है और अनंत का अंत कहां है? ज्योति का अंत नहीं, यह सारा ब्रह्मांड ज्योति के अंदर है। उधर ब्रह्माजी ने सोचा कि यदि श्रीमन्नारायण को आदि मिल गया होगा, तब मैं पीछे रह जाऊंगा, क्यों न एक दो गवाह तैयार करके कह दूं कि मैंने अन्त पा लिया। उन्होंने केतकी नाम के फूल से कहा कि तुम हमारी झूठी गवाही दे दो कि हम तुम्हें ऊपर से उतार कर लाये हैं। हम सृष्टिकर्ता हैं, हम तुम्हें सर्वश्रेष्ठ पुष्प बना देगें। पाप का कारण है- भय या लोभ, लोभ पाप कराता है, सीधी बात है। पाप दो प्रकार से होता है,भय से या लोभ से। केतकी पुष्प को साथ लेकर ब्रह्मा देव शंकर जी के पास पहुंच गये। शंकर जी ने बताया कि श्रीमन्नारायण तो को तो आदि नहीं मिला, आप बताइए क्या देखा? ब्रह्मदेव बोले- हां! मैं तो अंत देख कर आया हूँ।
क्या प्रमाण है? पुष्प ने कहा हमें ऊपर से उतार कर लाये हैं। भगवान् शंकर को क्रोध आ गया। जो व्यक्ति अपनी पूजा के लिए झूठ बोल सकता है, वह समाज का मार्गदर्शन कैसे करेगा? फिर झूठ का ही प्रचार होगा। केतकी! तुमने झूठी गवाही दी, इसलिए तुम्हारे पुष्प से मेरी पूजा नहीं होगी। भगवान् शंकर ने एक बात और कही- नारायण जी! आपकी पूजा घर-घर में होगी। मैंने जो ज्योति प्रकट की है, इसका नाम आज से शिवलिंग होगा। यह ज्योति मेरे नाम से, शिवलिंग के नाम से पूजी जायेगी। आज महापर्व शिवरात्रि है। आज के दिन यह जोत प्रगट हुई। इसलिये आज की रात्रि शिव-रात्रि है। जो व्यक्ति शिवरात्रि की रात्रि को चार पूजन करेगा और शिवरात्रि का व्रत रखेगा, वह एक वर्ष की पूजा का फल एक दिन में प्राप्त करेगा। जो शिवरात्रि का व्रत करके मेरी पूजा करेगा, वह मेरे धाम सीधा चला आयेगा। उसे कोई रोक नहीं सकता। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।