रिलेशनशिप। रिश्तों का सबसे महत्वपूर्ण और गहरा भाव दोस्ती होती है। कई बार दोस्ती का रिश्ता रक्त सम्बन्धों से भी ऊपर हो जाता है। अगर आपकी जिंदगी में एक सच्चा दोस्त है तो वह आपको जीवन की कठिनाइयों में टूटने नहीं देता। वह आपको गलत फैसले लेने से पहले ही सावधान कर देता है और मुश्किलों से बचाता है।
मुश्किल वक्त में उसका साथ आपका हौसला बढ़ाता है। इसलिए सच्चा दोस्त सारे रिश्तों से ऊपर हो जाता है। ऐसी दोस्ती में कई बार किसी छोटी सी गलती की वजह से खटास आ जाती है। यह खटास रिश्ते के टूटने का कारण भी बन सकती है।
हालांकि सच्ची दोस्ती वही है जहां गलती होने पर एक-दूसरे से बात करके सही स्थिति को समझा जाए और अगर गलती माफ़ करने लायक है तो माफ करके दोस्ती को बरकरार रखा जाए लेकिन कई बार यह समझदारी दोस्त नहीं दिखा पाते और किसी बात को मन में बैठा लेते हैं। इसलिए जरूरी है कि हमेशा दोस्ती में थोड़ी सतर्कता दिखाते हुए गलतियां करने से बचा जाए।
नजरअंदाज न करें:-
किसी और की वजह से अपने दोस्त को नजरअंदाज न करें। वह चाहे स्कूल-कॉलेज में बना आपका नया दोस्त हो, कॉलोनी में आया नया फ्रेंड या गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड। याद रखिए आपका सच्चा दोस्त इन सबसे पहले से आपके साथ है। जब आप किसी नए रिश्ते की वजह से पुराने रिश्ते से एकदम कट जाते हैं तो किसी को भी बुरा लगना स्वाभाविक है। इसलिए नए दोस्त अथवा नए रिश्ते बनाते हुए भी अपने पुराने सच्चे दोस्त को जोड़े रखें। उसे कभी यह महसूस न होने दें कि उसकी जगह आपके जीवन में सबके बाद है। इस व्यवहार से दोस्त भी स्थिति को समझते हुए आपको पूरा स्पेस देगा और आपके नए रिश्तों का सम्मान भी करेगा।
पैसों का हिसाब क्लियर रखें:-
पैसों को दोस्ती के बीच कभी न लाएं। बात चाहे 10 रुपयों की हो या 1000 की। दोस्ती में पैसे अक्सर दरार का कारण बनते हैं। इसलिए पैसों का हिसाब एकदम क्लियर रखें। लोग अक्सर यह सोचकर पैसे भूल जाते हैं कि थोड़े से ही तो हैं लेकिन याद रखिये आपके दोस्त ने किस स्थिति में और कैसे आपकी मदद की यह आप भी नहीं जानते। इसलिए उधार कभी न रखें। इससे दोस्ती भी पक्की होगी और विश्वास भी बना रहेगा।
सुनी सुनाई पर विश्वास न करें:-
छोटी बात हो या कोई बड़ी जानकारी, खासकर यदि वो आपसे या आपके दोस्त से संबंधित है तो जब तक खुद दोस्त आपको सच न बता दे, किसी और पर विश्वास न करें। यदि कोई आपको चेतावनी भी देता है तो एकदम से विश्वास करके दोस्ती तोड़ने की बजाय पहले बात की पड़ताल करें। मान लीजिये कि कोई व्यक्ति आपका सच्चा दोस्त होने का दावा करता है लेकिन वह आपकी भावनाओं से खेल रहा है। आपका कोई शुभचिंतक इस बारे में आपको चेतावनी देता है। तो उस शुभचिंतक को भी धन्यवाद दें और पहले अपने तरीके से इस बात की असलियत का पता लगाएं। यदि आपको इसके सच होने के प्रमाण मिलते हैं तो दोस्त से सीधे पूछें। यदि दोस्त सही तर्क देकर अपनी स्थिति स्पष्ट करता है तो इसका मतलब उसने आपके साथ कोई धोखा नहीं किया, बल्कि कोई जानबूझकर आपकी दोस्ती तोड़ने की कोशिश कर रहा था। इसलिए किसी भी बात सुनकर उसपर आँख मूंदकर विश्वास करने की बजाय पहले बात को समझें और जानें।
गलत बात में साथ न दें:-
कभी भी अपने दोस्त की किसी ऐसी एक्टिविटी को छुपाने में उसका साथ न दें जो उसे और आपको भी मुश्किल में डाल सकती हो। दोस्त के पैरेंट्स आपसे इसलिए जानकारी चाहते हैं क्योंकि वो आप पर और अपने बच्चे पर विश्वास करते हैं। ऐसे में कोई जानकारी छुपा कर आप अपनी दोस्ती और उनके विश्वास को भी खतरे में डाल सकते हैं और अपने दोस्त को भी। इसलिए ऐसा करने से बचें।