नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के लिए राज्यों को दिशा निर्देश जारी किए। मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी को 21 दिन तक क्वारंटीन रहना होगा। इसके अलावा चेहरे पर मास्क पहनने के साथ-साथ हाथों की स्वच्छता, घावों को पूरी तरह से ढकना और पूरी तरह से ठीक होने तक अस्पताल में रहना होगा।
मंत्रालय ने दिशा-निर्देशों में कहा है कि, वार्ड में भर्ती संक्रमित रोगी या फिर संदिग्ध रोगी से जुड़े किसी भी दूषित सामग्री के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को तब तक ड्यूटी से बाहर नहीं करना है जब तक उनमें कोई लक्षण विकसित न हो। ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारियों की 21 दिन तक निगरानी बहुत जरूरी है।
दिशा-निर्देशों में सलाह दी है कि मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज को तीन लेयर वाला मास्क पहनना चाहिए जबकि त्वचा के घावों को पूरी तरह से ढक कर रखना चाहिए ताकि संक्रमण न फैले। मरीजों को तब तक आइसोलेशन में रहना चाहिए जब तक कि सभी घाव ठीक नहीं हो जाते।
कपड़े, बिस्तर से भी संक्रमण:-
मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आने, उससे शारीरिक संपर्क बनाने या फिर उसके आसपास दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर इत्यादि के संपर्क में आने पर संक्रमण फैल सकता है। इससे बचना बहुत जरूरी है।
मंकीपॉक्स बुखार, सिरदर्द, तीन सप्ताह तक चकत्ते, गले में खराश, खांसी और सूजन लिम्फ नोड्स के साथ प्रकट होता है। लक्षणों में घाव शामिल होते हैं, जो आमतौर पर बुखार की शुरुआत के एक से तीन दिनों के भीतर शुरू होते हैं।
वैक्सीन और किट के लिए निकाला टेंडर:-
देश में मंकीपॉक्स के लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार सतर्क हो गई है। सरकार ने मंकीपॉक्स की वैक्सीन निर्माण के लिए ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्य’ यानि टेंडर निकाला है। इसके अलावा मंकीपॉक्स की जांच के लिए टेस्टिंग किट का भी टेंडर निकाला गया है। वैक्सीन और टेस्टिंग किट प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप मोड से बनाई जाएगी। सरकार की तरफ से जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक 10 अगस्त तक कंपनियां ईओआई जमा कर सकती हैं। अब तक देश में मंकीपॉक्स के चार केस मिल चुके हैं। इनमें से तीन केरल में और एक दिल्ली में है।
बुधवार को सूत्रों से जानकारी मिली कि कई दवा कंपनियों ने मंकीपॉक्स के खिलाफ संभावित टीके के विकास के लिए केंद्र के साथ चर्चा शुरू कर दी है। मंकीपॉक्स के खिलाफ वैक्सीन विभिन्न वैक्सीन निर्माण कंपनियों के साथ चर्चा में है, लेकिन इस तरह के किसी भी फैसले के लिए यह एक बहुत ही शुरुआती दौर में है। यदि इसकी जरूरत है तो हमारे पास संभावित निर्माता हैं। अगर भविष्य में इसकी जरूरत पड़ी तो विकल्पों की तलाश की जाएगी।
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल बोले- घबराने की जरूरत नहीं
एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि भारत इस बीमारी के खिलाफ पूरी तरह से तैयार है और घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे मामलों की जांच के लिए हमारी रोग निगरानी प्रणाली और भी अधिक सक्रिय हो गई है। स्थिति नियंत्रण में है, चिंता और घबराने की कोई बात नहीं है।