नई दिल्ली। देश का चौमुखी विकास हो रहा है तो भारत संचार क्रांति में पीछे कैसे रह सकता है। आज नेट कनेक्टिविटी बहुत तेजी से बढ़ी है और डिजिटलीकरण हो रहा है। ऐसे में अब 5-जी नेटवर्क और तेज डाटा कनेक्टिविटी देश की मांग है। पहले दो जीबी डाटा एक महीने के लिए होता था, आज इतना डाटा एक दिन में ही खत्म हो रहा है।
जाहिर है नेट स्पीड की डिमांड बढ़ी है। डिजिटल इंडिया के इस दौर में स्कूल की पढ़ाई, एग्जाम से लेकर चिकित्सा सुविधा, कैश ट्रांजेक्शन, ई-बिजनेस सब कुछ आनलाइन हो गया है। घंटों का काम मिनटों में पूरा हो रहा है। डाटा स्पीड बढ़ी तो तरक्की की दिशा को रफ्तार मिली। नवीन तकनीक के दौर में अब 5-जी पर काम चल रहा है। 5-जी मतलब पांचवीं पीढ़ी का नेटवर्क, जो बहुत जल्द देखने को मिलेगा।
विकास क्रम के दौर को देखें तो 1980 में जब पहली बार 1-G नेटवर्क आया था, तब सिर्फ वायस काल ही संभव हो पाई थी। इस दौरान नेट की स्पीड अधिकतम चार केबीपीएस हुआ करती थी। इसके बाद जब 2-G आया तो वायस काल के साथ एसएमएस और एमएमएस जैसी डाटा सेवाएं शुरू हुई और डाटा स्पीड पहले से बढ़कर अधिकतम 50 केबीपीएस हो गई।
फिर 3-G ने तीव्र डाटा- संचार तकनीक को जन्म दिया। यहां लोग अपने सेलफोन का उपयोग वीडियो कालिंग और मोबाइल इंटरनेट के लिए भी करने लगे और नेट स्पीड 384 केबीपीएस हो गई। वर्तमान में हम 4-G के दौर में चल रहे हैं और आज की स्थिति में आनलाइन शापिंग, रिजर्वेशन, ई-क्लास और तमाम डिजिटल सुविधाएं किसी से छिपी नहीं। अब आगे 5-जी संचार क्रांति की आप कल्पना कर सकते हैं।
यह तकनीक जल्द ही व्यापार और रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत की दशा और दिशा में परिवर्तन लाएगी। पहले जिस काम में समय, पैसा, श्रम खर्च होते थे, आज वही काम एक स्थान पर बैठे- बैठे हो जाता है। ऐसे में यह बात साफ है कि 5-जी के आने से देश के आधारभूत संरचना में स्पीड कई गुना बढेगी। गीगाबाइट्स प्रति सैकेंड की तेजी से डाटा ट्रांसफर होगा।
पलक झपकते ही एक्सेस होगा और काम को काफी आसान कर देगा। आने वाले समय में इससे घरेलू और दफ्तर की सारी मशीनें एक- दूसरे से कनेक्ट होंगी और इन्हें अपडेट करने में लगने वाला समय कम हो जाएगा। 5-जी तकनीक समय की मांग है। लेकिन 5-जी को स्थापित करने में चुनौतियां भी हजारों हैं। संचार विकास क्रम में 1-जी से 4-जी तक की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन करें तो यह साफ दिखता है कि जैसे- जैसे हम आगे बढ़े हैं, वैसे-वैसे पर्यावरण समेत सजीव प्राणियों के लिए यह घातक सिद्ध हुआ है।
साइबर समस्या सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ी है। मानसिक और सामाजिक रूप से भी इंसान कमजोर हुआ है। 5-जी से रेडिएशन का और अधिक खतरा बढेगा। बीमारियों के कई नए स्वरूप उपजेंगे जिसका सजीव प्राणियों पर सीधा असर दिखेगा। 5-जी से तरक्की की दौड़ भले आसान हो जाएगी, लेकिन पीछे देखने पर बहुत कुछ छूटेगा। मनुष्य अपनी सुविधाओं की खोजमें धीरे-धीरे खुद को समाप्त करता जा रहा है। जहां मानव जीवन पहले सामान्यतया 100 साल का होता था, अब वह औसतन 70 वर्ष तक रह गया है। इसका कारण सिर्फ रेडिएशन ही नहीं, अपितु कई और भी कारण हैं। इनसे निजात का तरीका भी हमें ढूंढ़ना होगा वरना विकास से विनाश भी होगा।