श्रद्धा और विश्वास से ही परमात्मा की होती है प्राप्ति: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि क्रिया की प्रतिक्रिया होती ही है। यदि जल में पत्थर फेंका जाए, तरंग उठेगी ही, पंखा हिलाने से हवा आंदोलित होगी ही। किसी भी क्रिया की प्रतिक्रिया अवश्य होगी। इसलिए क्रिया करो जिसकी प्रतिक्रिया आपके अनुकूल हो। उदाहरण के तौर पर यदि किसी गूंजने वाली जगह पर आप जाकर कहो- ‘ तू राम ‘ तो उत्तर मिलेगा ‘ तू राम ‘ और यदि आपने वहां कहा ‘ तू रावण ‘ तो उसकी प्रक्रिया में ‘ तू रावण ‘ आपको सुनने को मिलेगा। आप समाज से जो पाना चाहते हो, समाज को वही देने का प्रयास करो। भवानीशंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ। यह श्रद्धा और विश्वास के मूर्तिमान स्वरूप हैं। इनकी वंदना करो। श्रद्धा और विश्वास के बिना लाख जन्म भी भजन कर लो, तब भी हृदय में बैठा ईश्वर नहीं मिलेगा। श्रद्धा और विश्वास जाग जाए, तब तुम्हारे अंदर ही भोले शंकर प्रगट हो जाएंगे। मां प्रगट हो जाएगी, राम जी और कृष्ण जी प्रगट हो जाएंगे। अपने हृदय में विद्यमान परमात्मा का दर्शन तब तक नहीं होगा, जब तक श्रद्धा और विश्वास दृढ़ नहीं होगा।

मां पार्वती और भगवान शंकर की यदि श्रद्धा से पूजा कर ली, उसे श्रद्धा और विश्वास बुलाना नहीं पड़ेंगा,वे स्वयमेव अंदर जाग जाएंगे। श्रद्धा और विश्वास यदि अंदर जाग गए, तब परमात्मा हृदय में ही दर्शन दे जाएंगे और आपका जीवन सफल हो जाएगा। कश्मीर की भूमि में केसर को पैदा करने की सहज क्षमता है, आप अन्य स्थान में केसर पैदा करना चाहो, नहीं पैदा होगा। चंदन का पेड़ कहीं पर भी लगा लो पेड़ लग जाएगा, लेकिन वह सुगंध नहीं आएगी जो मलयाचल में होती है। चावल हर जगह पैदा होता है लेकिन देहरादून में लाखन माजरा के बासमती जैसा चावल कोई दूसरा नहीं है। वहां की मिट्टी वैसी होती है। जैसे मिट्टी में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं को उत्पन्न करने की क्षमता होती है, इसी प्रकार भोलेनाथ का चिंतन कर लो मां पार्वती की उपासना कर लो, श्रद्धा और विश्वास जागृत हो जाएगा और परमात्मा की प्राप्ति हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *