नई दिल्ली। विश्व की गंभीर समस्या के रुप में उभर चुकी आतंकवाद ने पूरी दुनिया को दहशत में ला दिया है। आतंकवाद के स्वरूप और शैली में निरन्तर बदलाव से इसकी भयावहता भी बढ़ गई है। मानवता की रक्षा के लिए आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट लड़ाई समय की मांग है लेकिन यह दुर्भाग्य और गम्भीर चिन्ता की बात है कि आतंकवाद के सन्दर्भ में दोहरे नजरिए ने इसके विरुद्ध लड़ाई को कमजोर बना दिया है।
इस प्रवृत्ति से उबरना आवश्यक हो गया है। इस सन्दर्भ में उजबेकिस्तान की राजधानी ताशकन्द में हाल ही में आयोजित शंघाई सहयोग संघटन (एससीओ) की बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सदस्य देशों को मजबूत सन्देश देने का सार्थक प्रयास किया है, जिस पर अमल करने की जरूरत है।
राजनाथ सिंह ने अपने सम्बोधन में आतंकवाद के खिलाफ एकजुट लड़ने और उसके सभी स्वरूपों को समूल समाप्त करने का आह्वान किया है। रक्षामंत्री स्तर की इस बैठक में किसी देश का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद सहित किसी भी रूप में आतंकवाद मानवता के खिलाफ बड़ा अपराध है।
वैश्विक शान्ति और सुरक्षा के लिए सबसे गम्भीर चुनौतियों में से यह एक है। भारत सभी प्रकार के आतंकवाद से लड़ने और क्षेत्र को शान्तिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर बनाने के अपने संकल्प के प्रति पूरी तरहसे प्रतिबद्ध है। उनका यह कहना भी प्रासंगिक है कि एससीओ के सदस्य देशों के साथ संयुक्त संस्थागत क्षमताओं को विकसित किया जाय।
इससे आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट लड़ाई को बड़ी ताकत मिलेगी। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि सभी राष्ट्रों के बीच सहयोग की भावना को और सुदृढ़ किया जाय। एक बड़ा प्रश्न पाकिस्तान और अफगानिस्तान को लेकर है। यह सर्वविदित है कि दोनों देश आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाह बन गए हैं।
आतंकवाद पाकिस्तान का राजधर्म बन गया है। वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल अन्य देशों को डराने या हमला करनेके लिए किया जा रहा है, जो पूरी तरह से अनुचित है। ऐसी स्थिति में एससीओ देशों की बड़ी जिम्मेदारी है कि वे आतंकवाद के विरुद्ध मजबूत लड़ाई के लिए एकजुट हों। अन्य सभी देशों को भी सहयोग के लिए आगे आना चाहिए।