हर गांव में अमृत महोत्सव की बही अमृत धारा: पीएम मोदी

नई दिल्‍ली। पीएम मोदी आज ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से देश की जनता को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने इस दौरान अमृत महोत्सव के साथ-साथ बीते दिन आयोजित किए गए तिरंगे अभियान की भी चर्चा की।

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित किया:-

पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने एक प्रस्ताव पारित कर वर्ष 2023 को International Year of Millets घोषित किया है। आपको ये जानकर भी बहुत खुशी होगी कि भारत के इस प्रस्ताव को 70 से ज्यादा देशों का समर्थन मिला था। आज, दुनिया भर में इसी मोटे अनाज का क्रेज बढ़ता जा रहा है। बाजरा, मोटे अनाज, प्राचीन काल से ही हमारी खेती, संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा रहे हैं।

हमारे वेदों में भी बाजरा का उल्लेख मिलता है, और इसी तरह, पुराणनुरू और तोल्काप्पियम में भी, इसके बारे में, बताया गया है। भारत, विश्व में बाजरा (Millets) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, इसलिए इस पहल को सफल बनाने की बड़ी जिम्मेदारी भी हम भारत-वासियों के कंधे पर ही है। हम सबको मिलकर इसे जन-आंदोलन बनाना है, और देश के लोगों में Millets के प्रति जागरूकता भी बढ़ानी है।

अमृत सरोवर का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया: पीएम मोदी

‘मन की बात’ में ही चार महीने पहले मैंने अमृत सरोवर की बात की थी। उसके बाद अलग-अलग जिलों में स्थानीय प्रशासन जुटा, स्वयं सेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग जुटे, देखते ही देखते अमृत सरोवर का निर्माण एक जन आंदोलन बन गया है।

पीएम मोदी ने तिरंगा यात्रा की तारीफ:-

लोगों ने तिरंगा अभियान के लिए अलग-अलग प्रगतिशील विचारों के साथ आए। जैसे युवा साथी, कृशनील अनिल जी ने अनिल जी एक Puzzle artist हैं और उन्होंने रिकॉर्ड समय में खूबसूरत तिरंगा mosaic art तैयार की है। वहीं कर्नाटक के कोलार में, लोगों ने 630 फीट लम्बा और 205 फीट चौड़ा तिरंगा पकड़कर अनूठा दृश्य प्रस्तुत किया। असम में सरकारी कर्मियों ने दिघालीपुखुरी वार मेमोरियल में तिरंगा फहराने के लिए अपने हाथों से 20 फीट का तिरंगा बनाया।

हर शहर, हर गांव में, अमृत महोत्सव की अमृत धारा बह रही है: पीएम

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के इस महीने में हमारे पूरे देश में, हर शहर, हर गांव में, अमृत महोत्सव की अमृत धारा बह रही है। अमृत महोत्सव और स्वतंत्रता दिवस के इस विशेष अवसर पर हमने देश की सामूहिक शक्ति के दर्शन किए हैं। एक चेतना की अनुभूति हुई है। इतना बड़ा देश, इतनी विविधताएं, लेकिन जब बात तिरंगा फहराने की आई, तो हर कोई, एक ही भावना में बहता दिखाई दिया। तिरंगे के गौरव के प्रथम प्रहरी बनकर, लोग, खुद आगे आए।

 

 

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