स्वास्थ्य। पिछले कुछ महीनों में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं कि अब हार्ट अटैक किसी भी उम्र में आ रहा है। 50 साल से अधिक उम्र के लोगों से लेकर युवाओं तक की मौत दिल की बीमारी से हो रही है। कोरोना महामारी के बाद से हार्ट अटैक के मामलों में काफी इजाफा हुआ है।
बीएमसी की रिपोर्ट बताती है कि मुंबई में जनवरी 2021 से लेकर जून 2021 के बीच हर महीने तीन हजार लोगों ने हार्ट अटैक से अपनी जान गंवाई, जबकि साल 2020 में यह संख्या सिर्फ 500 थी। यानी, कोविड महामारी के बाद हार्ट अटैक मामले बढ़े हैं। WHO ने भी कहा कि कोविड का असर हार्ट पर हुआ है और इससे दिल की बीमारियां बढ़ी हैं।
इंडो यूरोपियन हेल्थकेयर के डायरेक्टर डॉ. चिन्मय गुप्ता बताते हैं कि पोस्ट कोविड हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ गए हैं। ये खराब लाइफस्टाइल और कोरोना वायरस की वजह से हो रहा है। कोविड के बाद कुछ लोगों में खून गाढ़ा होने की परेशानी देखी जा रही है, जिसे पतला करने की दवाएं दी जाती है। कई मामलों में लंग्स और हार्ट की आर्टरी में खून के थक्के ( ब्लड क्लॉट) बन जाते हैं। खून जमने से हार्ट में ब्लड की सप्लाई में रुकावट आती है। इसका सीधा असर हार्ट फंक्शन पर पड़ता है और कई मामलों में हार्ट अटैक आ रहा है।
40 से अधिक उम्र के लोग और जिनमें पहले से ही हार्ट, डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी परेशानियों मौजूद है, उनमें हार्ट डिजीज ज्यादा देखी जा रही हैं। हालांकि अब युवाओं को भी हार्ट की बीमारियां हो रही है और इससे अटैक भी आ रहा है।
लक्षणो को नजरअंदाज कर रहे हैं लोग:- डॉ. गुप्ता बताते हैं कि लोगों में हार्ट की बीमारियों लेकर जागरूकता की कमी है। यही कारण है कि देश में 50 फीसदी हार्ट अटैक के मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। कई बार हार्ट की बीमारियों के लक्षणों को नजरअंदाज भी कर देते हैं। छाती में दर्द को गैस का दर्द समझते हैं और कोई पेन किलर या दवा लेते रहते हैं। ऐसे में धीरे-धीरे स्थिति खराब होती है और हार्ट अटैक आ जाता है।
डॉ. गुप्ता के मुताबिक एसिडिटी होने पर घबराहट या पसीना नहीं आता है और बाएं हाथ में दर्द भी नहीं होता है, इसलिए अगर छाती में दर्द हो रहा है और दवा लेने के बाद भी ठीक नहीं हुआ है, तो तुंरत अस्पताल जाना चाहिए।
हार्ट अटैक के ये भी हैं कारण:- डॉ. गुप्ता के मुताबिक कई बार जेनेटिक कारणों, अधिक धूम्रपान, मेंटल स्ट्रेस और खानपान की गलत आदतों की वजह से भी हार्ट की बीमारियां बढ़ जाती हैं। कई मामलों में देखा जा रहा है कि कोलेस्टॉल का लेवल नॉर्मल होने पर भी हार्ट में ब्लॉकेज मिल रहा है। युवा और बुजुर्ग दोनों आयु वर्ग में ये परेशानी हो रही है।