नई दिल्ली। पिछले कुछ समय से अफवाह फैलाकर जिस तरह हिंसक घटनाओं की पृष्ठभूमि तैयार की जा रही है वह गम्भीर चिन्ता का विषय है। कभी धार्मिक उन्माद, कभी साम्प्रदायिक तनाव तो कभी धार्मिक स्थलों में तोड़-फोड़ की विचलित कर देने वाली सुनियोजित घटनाएं इसका संकेत है कि मुट्ठी भर राष्ट्रविरोधी तत्व देश को अस्थिर करने के लिए पूरी तरह सक्रिय हैं। इस सम्बन्ध में अब एक नया षड्यन्त्र बच्चा चोरी का आये दिन सामने आ रहा है जिसमें मारपीट के साथ हत्या तक की घटनाएं हो रही हैं।
बड़ी बात यह है कि बच्चा चोरी की घटनाएं जितना हो नहीं रही है उससे कहीं ज्यादा अफवाह फैलाई जा रही है। इसमें सोशल मीडिया की भूमिका संदिग्ध है। इन दिनों देश के पांच राज्य बच्चा चोरी की अफवाह से जूझ रहे हैं। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश और उत्तराखण्ड में बच्चा चोरी की अफवाहें चरम पर हैं।
स्थिति इतनी गम्भीर हो गई है कि इस आरोप में लोगों को मौत के घाट उतार दिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में पिछले कुछ दिनों में बच्चा चोरी की अफवाह के चलते मारपीट की 60 से अधिक घटनाओं ने सरकार की चिन्ता बढ़ा दी है। बिहार में अफवाह के चलते हर दूसरे दिन हिंसक घटना हो रही है। तीन महीने के अन्दर अब तक 42 लोग इसके शिकार हुए।
उत्तराखण्ड में बच्चा चोर बताकर तीन लोगों को बुरी तरह पीटा गया, जबकि झारखण्ड में अफवाह के चलते तीन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इस तरह की घटनाओं के पीछे के मकसद को समझना होगा। इसमें देश-विदेश की ताकतें सक्रिय हैं। कुछ लोग सरकार को असहज करने में लगे हुए हैं तो कुछ विदेशी षड्यन्त्रकारी देश का माहौल बिगाड़ने में जुटे हैं, जिन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए और उनके विरुद्ध सख्त कररवाई करने की जरूरत है।
शासन-प्रशासन को निगरानी तंत्र को मजबूत करने की आवश्यकता है। जनता को भी सतर्क रहते हुए अफवाहों से बचना चाहिए। ऐसे समय में आम नागरिक का भी कर्तव्य बढ़ जाता है। यदि कोई संदिग्ध समझ में आता है तो तत्काल पुलिस को सूचित करें। कानून को अपने हाथ में लेने से बचें तभी ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।