किडनी स्‍टोन को दूर करने में सहायक है ये रस…

हेल्‍थ। किडनी के अंदर जब मिनिरल्स और सॉल् का हार्ड पार्ट जमा होने लगे तब किडनी में स्टोन की समस्या हो जाती है। यह बेहद खतरनाक होता है। इससे पेट में असहनीय दर्द रहता है। गलत खान-पान, बढ़ता वजन और कुछ मेडिकल कंडीशन इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। किडनी स्टोन के कारण मूत्राशय में कई तरह की गड़बड़ियां पैदा हो जाती है। अगर सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो शरीर के कई अन्य अंगों पर इसका असर होने लगता है।

किडनी स्टोन को हटाने के लिए कई तरह के घरेलू नुस्खे को आजमाया जाता है। इसका फायदा भी होता है। राजमा, कुर्थी की दाल, लेमन जूस, एप्पल विनेगर, अनार का जूस आदि से इसे दूर किया जा सकता है। किडनी स्टोन को खत्म करने के लिए तुलसी का जूस सबसे अधिक फायदेमंद है।

क्यों है तुलसी का जूस रामबाण:-
तुलसी में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए कई गुण मौजूद होते हैं। भारत में सदियों से तुलसी की पूजा इसी उद्येश्य से की जाती है। परंपरागत रूप से तुलसी का इस्तेमाल घाव, सूजन, सर्दी, खांसी को दूर करने और पेट की समस्या से निजात दिलाने के लिए किया जाता है। लेकिन इससे किडनी के स्टोन को भी खत्म किया जा सकता है। तुलसी के रस में एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट होते हैं, इसलिए यह किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रख सकते हैं।

अन्य भारतीय औषधियों की तरह तुलसी पर भी रिसर्च है। मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि तुलसी के पत्तों में पाए जाने वाले कुछ यौगिक शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को स्थिर कर सकते हैं। यूरिक एसिड किडनी में पथरी को बढ़ाता है. इसके अलावा, तुलसी के पत्तों की एसिटिक एसिड स्टोन को गलाने में मददगार है। इसलिए, यदि आपको गुर्दे की पथरी है, तो आप प्रतिदिन एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस ले सकते हैं, या आप अपने सलाद में कुछ कच्ची तुलसी के पत्ते भी मिला सकते हैं।

तुलसी का कैसे करें इस्तेमाल:-
किडनी स्टोन को खत्म करने के लिए रोजाना चाय में तुलसी के पत्ते को मिलाकर बनाएं। तुलसी के ताजे या सूखे पत्तों का उपयोग करके चाय बनाएं और प्रतिदिन कई कप पिएं। यदि इसका जूस बनाना है तो ताजे तुलसी के पत्ते को तोड़ लें और इसे साफ कर जूसर में मिक्स कर दें। इसके बाद इसे स्मूदी की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि इसका एक दो चम्मच ही रोजाना सेवन करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *