नई दिल्ली। सोमवार को पीएम मोदी ने कृषि क्षेत्र से जुड़ी कई परियोजनाओं को वर्चुअल माध्यम से शुरू किया। इस मौके पर उन्होंने आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मिशन मोड में काम करने का समय है। इस दौरान पीएम मोदी ने खाद्य तेल और उर्वरक आयात के उच्च बिल पर चिंता व्यक्त करते हुए आयात पर निर्भरता कम करने की भी अपील की।
आत्मनिर्भर भारत पर दिया जोर:-
पीएम मोदी ने कहा कि आत्मनिर्भर बनना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि निर्यातक देशों की समस्याओं ने सीधे भारत के लिए आयात की कीमतों को प्रभावित किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी कीमतें भी इसका उदाहरण हैं। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि आयातित खाद्य तेल और उर्वरकों और यहां तक कि कच्चे तेल पर निर्भरता को यथासंभव कम करना महत्वपूर्ण है।
कम हुई आयात पर निर्भरता :-
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय किसानों ने 2015 में दालों का उत्पादन बढ़ाने के उनके आह्वान पर अमल किया। जिसके चलते हाल के वर्षों में उत्पादन में 70 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके कारण आयात पर निर्भरता कम हुई है।
गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष में भारत का वनस्पति तेल आयात सालाना आधार पर 70.72 प्रतिशत बढ़कर 18.93 अरब डॉलर हो गया। 2021-22 में, भारत ने 160.68 बिलियन अमरीकी डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम और कच्चे तेल और उत्पादों का आयात किया था, जो लगभग 94 प्रतिशत अधिक था।
सरकार के कामों की दी जानकारी:-
पीएम मोदी ने उर्वरकों की विदेशों से खरीद और बाद में किसानों को इस पर दी जाने वाली सब्सिडी की चर्चा करते हुए कहा कि सरकार इस साल उर्वरकों के आयात पर 2.5 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी,जिससे यह तय किया जा सके कि उच्च वैश्विक कीमतें किसानों को प्रभावित न करें। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि सरकार विदेशों से 75-80 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से यूरिया खरीद रही है, लेकिन किसानों को वैश्विक बाजारों में बढ़ती कीमतों से बचाने के लिए 5-6 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से यूरिया की आपूर्ति कर रही है।
इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि बंद की गई छह बड़ी यूरिया फैक्ट्रियों को घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है। साथ ही नैनो-यूरिया के उत्पादन में तेजी लाई जा रही थी, जिससे किसानों को काफी लाभ होगा।