जानें निमोनिया के प्रकार और उपचार…

स्वास्थ्य। बच्‍चे के जन्‍म के साथ ही निमोनिया रूपी वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है। कुछ बच्‍चों में इसके गंभीर लक्षण देखे जाते हैं। निमोनिया एक सांस से संबंधित बीमारी है जिसके कारण फेफड़े कमजोर हो जाते हैं। डब्‍ल्‍यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 2019 में दुनियाभर में 7,40,180 बच्‍चों की मृत्यु निमोनिया के कारण हुई थी। कोविड-19 के बाद से निमोनिया के मामलों में इजाफा देखने को मिला है। निमोनिया को अधिकतर लोग गंभीरता से नहीं लेते और न ही इससे होने वाले दुष्‍प्रभावों के बारे में जानते हैं।

निमोनिया कई प्रकार का होता है और इसके लक्षण भी एक दूसरे से भिन्‍न होते हैं। निमोनिया लाइलाज बीमारी नहीं है लेकिन इसका इलाज इसके प्रकार और लक्षणों के आधार पर किया जाता है। समय रहते इसका उपचार करवाना जरूरी होता है। चलिए जानते हैं निमोनिया के विभिन्‍न प्रकार और बचाव के तरीके-

बैक्‍टीरियल निमोनिया:-

निमोनिया होने का मुख्‍य कारण बैक्‍टीरियल इंफेक्‍शन होता है। बैक्‍टीरियल निमोनिया होने पर सांस लेने में परेशानी, सर्दी-जुकाम की समस्‍या हो सकती है। ये वायरस संक्रमित व्‍यक्ति के छींकने और खांसने पर फैलता है। ये बैक्‍टीरिया सांस नली के माध्‍यम से शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिन लोगों को पहले से अस्‍थमा या सांस से संबंधित कोई दूसरी बीमारी है उन्‍हें ये वायरस आसानी से शिकार बना सकता है।

कम्‍यूनिटी एक्‍वायर्ड निमोनिया:-

एक समुदाय या ग्रुप में होने वाले निमोनिया के लक्षणों को कम्‍यूनिटी एक्‍वायर्ड निमोनिया कहा जाता है। ये एक कॉमन निमोनिया है जिसका उपचार घर पर रहकर, एंटीबायोटिक दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से किया जा सकता है। बैक्‍टीरियल, वायरल और वॉकिंग निमोनिया को कम्‍यूनिटी एक्‍वायर्ड निमोनिया माना जाता है।

वायरल निमोनिया:-

कम्‍यूनिटी एक्‍वायर्ड निमोनिया भी एक वायरस के कारण होता है। इंफ्लुएंजा वायरस, पैराइंफ्लुएंजा वायरस, खसरा, कोविड-19 और एंटीबायोटिक्‍स वायरल निमोनिया को बढ़ावा दे सकते हैं। वायरल निमोनिया के इलाज में एंटीबायोटिक्‍स प्रयोग नहीं की जाती है। इसमें एंटीवायरल ड्रग्‍स और कॉर्टिकोस्‍टेरॉइड दवाओं का सेवन सूजन और बुखार को कम करने के लिए किया जाता है। वायरल निमोनिया में मरीज को ऑक्‍सीजन की समस्‍या होने लगती है।

वॉकिंग निमोनिया:-

वॉकिंग निमोनिया को गंभीर निमोनिया में शामिल नहीं किया जा सकता। वॉकिंग निमोनिया के लक्षण काफी सामान्‍य होते हैं जिससे मरीज को ज्‍यादा तकलीफ नहीं होती। इसमें सर्दी, खांसी, बदन दर्द और सिरदर्द की समस्‍या हो सकती है। वॉकिंग निमोनिया के लक्षण 5-6 दिन में समाप्‍त हो जाते हैं और ये एक-दूसरे के संपर्क में आने से नहीं फैलता।

फंगल निमोनिया:-

ये निमोनिया फंगल इंफेक्‍शन के कारण फैलता है। जिन लोगों की इम्‍यूनिटी कमजोर होती है उन्‍हें ये आसानी से हो सकता है। फंगल निमोनिया पक्षियों, चमगादड़ और चूहों के संपर्क में आने से हो सकता है। इसके अलावा ये धूल और धुएं में मौजूद फंगस से भी फैल सकता है। इसमें व्‍यक्ति को बुखार और कफ की समस्‍या हो सकती है।

नोसोकोमियल निमोनिया:-

नोसोकोमियल निमोनिया जो निमोनिया का एक प्रकार है जो अस्‍पताल में भर्ती होने के बाद वि‍कसित होता है। ये निमोनिया वेंटिलेटर के उपयोग से होता है। ये ऑक्‍सीजन के माध्‍यम से शरीर में फैलता है। ये निमोनिया बीमार लोगों को अपना शिकार बनाता है। इसमें सांस लेने में दिक्‍कत, बुखार और खांसी के लक्षण उभर सकते हैं।

केमिकल निमोनिया:-

केमिकल निमोनिया किसी खतरनाक केमिकल का सांस नली द्वारा शरीर में पहुंच जाने के कारण होता है। ये क्‍लोरीन गैस के कारण भी हो सकता है। केमिकल निमोनिया फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसमें मरीज को ऑक्‍सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

निमोनिया का उपचार:-

  • निमोनिया होने पर डॉक्टर से ठीक तरह से जांच कराएं।
  • निमोनिया ठीक हो जाने के बाद भी दवाईयों का कोर्स करें।
  • साधारण लक्षण होने पर घर में भाप व खांसी की दवा ले। लोगों से दूरी बनाकर रखें।
  • पानी का सेवन ज्यादा करें।
  • आवश्‍यकतानुसार एंटीबायोटिक्‍स दवाईयां लें।

 

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