वाराणसी। सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुद लता त्रिपाठी की अदालत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द की तरफ से दाखिल वाद की सुनवाई आज होनी है। इस वाद में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की आकृति की पूजा पाठ रागभोग आरती करने की अनुमति मांगी गई है। बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य रहे और अब उनकी मृत्यु के बाद शंकराचार्य का पद संभाल रहे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और रामसजीवन ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी,रमेश उपाध्याय चंद्रशेखर सेठ के माध्यम से अदालत में वाद दाखिल किया है।
जिसमें शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज के आदेश पर हुए कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिले शिवलिंग की आकृति का विधिवत रागभोग,पूजन और आरती जिला प्रशासन की तरफ से विधिवत करना चाहिए था, लेकिन अभी तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। न किसी अन्य सनातनी धर्म से जुड़े व्यक्ति को इसके लिए नियुक्त किया। उन्होंने बताया कि कानूनन देवता की परिस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है। जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान की धारा अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है।