योग। योगासनों के नियमित अभ्यास की आदत आपको संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है, कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों के जोखिमों से बचाने में भी योग की आदत लाभकारी है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने पाया कि जो लोग नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं उनमें अन्य लोगों की तुलना में बीमारियों का जोखिम कम देखने को मिलता है। योग प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देने में भी काफी फायदेमंद है। विशेषज्ञों ने मत्स्यासन योग को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की कई समस्याओं में लाभकारी पाया है, विशेषतौर पर शरीर के ऊपरी हिस्से की कई समस्याओं में इससे आराम मिल सकता है।
मत्स्यासन योग, कई रोगों को खत्म करने वाला अभ्यास हो सकता है। पेट और गर्दन के सामने की मांसपेशियों को फैलाने और उनके कार्यों को बेहतर करने में इस योग के लाभ देखने को मिले है। योग विशेषज्ञ के अनुसार इस योग से श्वसन विकारों में फायदा मिल सकता है। यह फेफड़ों से लेकर श्वासनली की समस्याओं को कम करने के साथ इससे संबंधित कई प्रकार की बीमारियों में फायदेमंद हो सकती है। आइए मत्स्यासन योग के तरीके और इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में जानते हैं।
मत्स्यासन योग करने का तरीका :-
मत्स्यासन योग को फिश पोज के नाम से भी जाना जाता है। प्राचीन योग ग्रंथों में इसे उपयुक्त रूप से “सभी रोगों का नाश करने वाला” कहा गया है। मत्स्यासन रीढ़ की हड्डी की ताकत और समपूर्ण शरीर के संतुलन को बेहतर बनाने वाला अभ्यास है।
योग का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। पैरों को पद्मासन की मुद्रा में लेकर आएं। जांघें और घुटने को फर्श पर रखते हुए सांस खींचते हुए सीने को ऊपर की तरफ उठाएं। सिर के ऊपरी हिस्से को जमीन पर ही रखें। कुछ समय तक इस स्थिति में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए पूर्ववत स्थिति में आ जाएं।
मत्स्यासन योग से होने वाले लाभ :-
योग विशेषज्ञों ने पाया कि मत्स्यासन योग संपूर्ण शरीर को कई प्रकार के लाभ प्रदान कर सकता है। इस योग के अभ्यास के दौरान छाती ऊपर की ओर उठती है जिससे उसमें खिंचाव आता है और सांस लेना आसान होता है। इसे गर्दन के लिए भी कारगर अभ्यास के तौर पर जाना जाता है, ऐसे में इस योग के माध्यम से श्वसन विकारों को दूर करना आसान हो सकता है।
मत्स्यासन योग से अन्य लाभ :-
- छाती और गर्दन को स्ट्रेच करता है।
- गर्दन और कंधों से तनाव को दूर करने में मदद करता है।
- गहरी सांस लेने को प्रोत्साहित करके श्वसन संबंधी विकारों को दूर करता है।
- यह मुद्रा लचीलेपन और पाचन में सुधार करता है, इस प्रकार कब्ज की दिक्कत में भी इससे लाभ मिल सकता है।
- मत्स्यासन पैराथायरायड, पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को टोन करने में सहायक योगाभ्यास है।
मत्स्यासन योग की सावधानियां :-
मत्स्यासन योग से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ हो सकते हैं, पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन लोगों को उच्च या निम्न रक्तचाप की समस्या है, उन्हें इस योग के अभ्यास से बचना चाहिए। यदि आप माइग्रेन या अनिद्रा जैसी समस्याओं के शिकार हैं तो भी इस योग को न करने की सलाह दी जाती है। मत्स्यासन योग का अभ्यास पीठ के निचले हिस्से या गर्दन में चोट की स्थिति में भी नही करना चाहिए।