पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा जातकर्म संस्कार, नामांकरण संस्कार, गृह निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, चूड़ाकरण संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार एवं विद्या अध्ययन संस्कार की कथा का गान किया गया। “या विद्या सा विमुक्तये” अहिंसा- किसी जीव को दुःख न देना, हत्या न करना, अहिंसा कहलाती है। अपनी ओर से प्राणी मात्र को अभय देना अहिंसा है। अभय दान बड़ा दान है। सत्य- सत्य ईश्वर का स्वरूप है। परमात्मा को सच्चिदानंद कहा गया है, अर्थात् वह सत्, चित् और आनंद है। जब तक वाणी पर सत्य नहीं आता हृदय में प्रकाश नहीं होता। सत्य एक ही है। सत्य बोलने के अनेक लाभ हैं। सत्यवादी जहां समाज में सम्मान पाता है, वहां प्रभु को भी प्यारा होता है। वह ज्ञान,तप, साधना की राह पर सुगमता से चल सकता है। धरम न दूसर सत्य समाना। आगम निगम पुराना बखाना।अर्थात् सत्य के आधार पर पृथ्वी टिकी है, सूर्य में प्रचंड प्रकाश, अग्नि में दाहकता और सत्य में ही सब कुछ रहता है। वाणी में सत्य आते ही पाप होने से रुक जाते हैं, जैसे ब्रेक लग गया हो। जैसे हाथी के पांव में सब पांव समा जाते हैं ऐसे ही असत्य में सारे पाप समा जाते हैं। सत्य बोलने वाला प्रभु स्मरण करता है। सत्यवादी हरिश्चंद्र ने सत्य के लिये पुत्र, पत्नी और स्वयं को वेचकर अत्यन्त कठोर कार्य किया, परंतु अंत में यशस्वी बने। सत्यवादी दशरथ के घर श्री राम और वसुदेव जी के घर श्री कृष्ण साक्षात् भगवान् आये। श्री राम सत्य के बल पर रामराज्य के शिखर तक पहुंचे। अतः सत्य का पालन ईश्वर की पूजा ही है ऐसा मानकर सत्य पर चलें। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।