स्वास्थ्य। ग्लाइसीन एक प्रकार का एसिड है जो कि हमारी अच्छी हेल्थ के लिए बेहद जरूरी होता है। ग्लाइसीन हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है। आमतौर पर यह हमारे भोजन में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जिसकी मात्रा 2 ग्राम के करीब होती है। ग्लाइसीन हमारे मस्तिष्क में संकेतों को भेजन में एक अहम भूमिका निभाता है। इसकी कमी से स्किजोफ्रेनिया नामक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए और शरीर ग्लाइसीन एक बेहद जरूरी तत्व है। ग्लाइसीन का उपयोग स्किजोफ्रेनिया के इलाज में भी किया जाता है जो कि एक मेंटल डिसऑर्डर है। आइए जानते हैं ग्लाइसीन का हमारे मस्तिष्क और शरीर पर क्या असर पड़ता है–
कब होता है ग्लाइसीन का इस्तेमाल:-
ग्लाइसीन का इस्तेमाल कुछ स्वास्थ्य और मानसिक बीमारियों में किया जाता है। यह मेंटल डिसऑर्डर स्किजोफ्रेनिया के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है। इस डिसऑर्डर में व्यक्ति के सोचने-समझने, महसूस करने और व्यवहार करने की क्षमता बेहद कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त ग्लाइसीन शरीर में बनने वाले ट्यूमर तक खून के प्रवाह को भी रोकता है।
शरीर प्राकृतिक रूप से अमीनों ग्लाइसीन का उत्पादन करता है और साथ ही यह प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। ग्लाइसिन मांस, पोल्ट्री, मछली, डेयरी जैसे पदार्थों में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह बीन्स और फलियों में भी पाया जाता है।
ग्लाइसीन के फायदे:-
– ग्लाइसीन नींद की गुणवत्ता में सुधार लाता है। शोध में यह पता चला ही कि सोने से पहले यदि ग्लाइसीन का इस्तेमाल किया जाए तो इससे अच्छी नींद आती है।
– ग्लाइसीन मेमोरी को बूस्ट करता और साथ ही यह कॉग्नेटिव फंक्शन को भी बेहतर बनाता है।
– शोध के अनुसार ग्लाइसीन अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर के लक्षणों का इलाज करने में मदद कर सकता है।
– मानसिक तौर पर नकारात्मक सोच को दूर करने के लिए भी ग्लाइसीन का इस्तेमाल किया जाता है।
– कैंसर के इलाज में भी ग्लाइसीन का इस्तेमाल किया जाता है।
– पांव के छाले और घावों को भरने में भी ग्लाइसीन का इस्तेमाल होता है।
– मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से राहत के लिए भी ग्लाइसीन का इस्तेमाल किया जाता है।