भगवान शिव का सबसे प्रिय मंत्र है महामृत्युंजय मंत्र

एस्ट्रोलॉजी। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्‍न करने वाले मंत्रो में से महामृत्युंजय मंत्र बेहद खास है। इस मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति भयमुक्त, रोगमुक्त जीवन चाहता है और अकाल मृत्यु के डर से खुद को दूर करना चाहता है, तो उसे ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना चाहिए। महामृत्युंजय मंत्र भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मंत्र है। इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं। शिवपुराण और अन्य ग्रंथो में भी इसके महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिवपुराण के मुताबिक, महामृत्युंजय मंत्र के जप से व्यक्ति को संसार के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। ऐसे में आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी अर्थ और इसके महत्व के बारे में विस्तार से…

महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

हिंदी अर्थ :-  

इस मंत्र का हिंदी अर्थ है कि हम भगवान शिव की पूजा करते हैं, जिनके तीन नेत्र हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने की विधि :-
महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए। मान्‍यता है कि ये मंत्र नकारात्मकता को दूर करने में मदद करता है। शिवपुराण के मुताबिक इस मंत्र का 108 बार जाप करने से व्यक्ति को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।

महामृत्युंजय मंत्र के फायदे :-

-इस मंत्र के पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते हैं और मनुष्य को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

-महामृत्युंजय मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य निरोगी बनता है।

-इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है।

-जिस भी व्यक्ति को धन-सम्पत्ति पाने की मनोकामना है, उसे महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करना     चाहिए।

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