नई दिल्ली। केंद्र की क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ के तहत टियर-2 और टियर-3 शहरों में संचालित 60 से ज्यादा हवाई अड्डों को आतंकवाद-रोधी सुरक्षा कवर के तहत लाया जाएगा। इसके तहत 1,650 सैनिकों के साथ ही सशस्त्र सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती की जाएगी। यह जानकारी अधिकारियों ने रविवार को दी।
इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय की अंतिम नीति मंजूरी मिलनी बाकी है। नागर उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो ने नागर उड्डयन मंत्रालय और सीआईएसएफ से परामर्श के बाद देशभर के छोटे हवाई टर्मिनलों से उड़ान भरने वाले यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया है।
शिमला जैसे कुछ हवाई अड्डे क्षेत्रीय संपर्क योजना के अंतर्गत हैं, जिनकी सुरक्षा सीआईएसएफ के द्वारा की जा रही है। बाकी अन्य हवाई अड्डों को विभिन्न राज्य पुलिस बलों या उनकी विशेष सशस्त्र इकाइयों के द्वारा सुरक्षा की जा रही है। कोई समान नीति नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा 21 अक्टूबर, 2016 को ‘उड़ान’ नाम से क्षेत्रीय संपर्क योजना शुरू की गई थी, ताकि क्षेत्रीय हवाई संपर्क को प्रोत्साहित किया जा सके और टियर-2 और टियर-3 शहरों और कस्बों में रहने वाले लोगों के लिए हवाई यात्रा सस्ती की जा सके।
ब्लू प्रिंट के मुताबिक, उड़ान योजना के तहत परिचालन करने वाले प्रत्येक हवाई अड्डे पर 57 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे, जिनमें से 27 सशस्त्र कर्मी सीआईएसएफ से लिए गए हैं, बाकी प्रमाणित निजी सुरक्षा एजेंसियों से लिए गए हैं। सीआईएसएफ देश के 66 प्रमुख घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों की सुरक्षा करता है।
अधिकारियों ने बताया कि संबंधित राज्य सरकार और एएआई उन 57 कर्मियों को ठहने की सुविधा प्रदान करेगी, जिन्हें क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत प्रत्येक हवाई अड्डे पर तैनात किया जाना है। उन्होंने कहा कि यात्रियों की तलाशी और बैगेज स्कैनिंग एक्स-रे मशीनों के लिए हैंड-हेल्ड मेटल डिटेक्टर जैसे सुरक्षा गैजेट और उपकरण लगाने के अलावा इन सुविधाओं को हवाईअड्डा परिसर में होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि टर्मिनल बहुत छोटे हैं और वहां से बहुत सीमित उड़ानें हैं।
ब्लूप्रिंट के अनुसार, क्षेत्रीय संपर्क योजना के तहत हवाई अड्डों की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ करीब 1,650 कर्मियों को तैनात करेगा, जबकि प्रत्येक हवाईअड्डे के लिए निजी सुरक्षा कर्मियों को बीसीएएस द्वारा प्रमाणित लाइसेंस दिया जाएगा।