पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री शिवजी का नाम, शिव एवं शिव भक्तों के ललाट पर लगने वाली भस्मी और रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन किया गया। श्री शिव महापुराण की भाषा में इसे त्रिवेणी रूप माना गया। जो लोग इन तीनों आभूषणों को सदैव धारण किये रहते हैं, मुख में भगवान शिव का नाम, गले में रुद्राक्ष और मस्तक पर त्रिपुंड, उन्हें भगवान सदाशिव के समान समझना चाहिए। शिवजी की महिमा अपार है। भक्त तथा संतजन शिवजी के नाम को प्राणों से भी अधिक प्रिय समझते हैं। मुनि तथा सिद्धजन उनके नाम का जप करके संपूर्ण पापों से रहित हो जाते हैं। श्रीसीताजी सहित श्रीरामचंद्रजी, तथा श्रीराधाजी सहित श्रीकृष्ण चन्द्र जी भी शिव का नाम जपते हुए, सुखी रहते हैं। जो लोग शिवजी के नाम का जप करते हैं, उन्हें परम धन्य समझना चाहिए। जिसके मुख से एक बार भी शिवजी का नाम निकलता है, उसके सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं। शिवजी का नाम जपने से ब्रह्महत्या आदि बड़े-बड़े पाप दूर हो जाते हैं। शिवजी के नाम रूपी नौका को संसार रूपी समुद्र से पार जाने के लिए सुगम उपाय समझना चाहिए। शिव जी का नाम अमृत के समान दुःखों को दूर करने वाला है। जो लोग मन, वचन तथा कर्म द्वारा शिव जी का नाम जपते हैं, वे अत्यंत धन्य है। यद्यपि शिव जी के अनंत नाम है तथा वे सब संपूर्ण मनोकामनाओं को सिद्ध करने में एक से है। परन्तु शिव नाम के समान अन्य कोई नाम नहीं है। जो मनुष्य किसी भी प्रकार शिवजी का नाम लेता है, वह अवश्य ही मुक्ति को प्राप्त होता है।
इंद्रद्युम्न नाम का एक राजा महापापी था। जब उसे एक सिंह ने मार डाला तो उसे लेने के लिए यमराज के दूत गये। परंतु तभी शिवजी की आज्ञा अनुसार शिवगण भी उसे लेने के लिए जा पहुंचे। क्योंकि मरते समय उसने शिव नाम का उच्चारण किया था। यद्यपि उसने अनजाने में शिवजी का नाम लिया था, तो भी वह शिव रूप स्वरूप धारणकर, शिवपुरी में प्रतिष्ठित हुआ। इसी प्रकार बहुत से अन्य मनुष्य भी शिवजी का नाम लेकर बराबर मुक्ति को प्राप्त होते हैं। वेद तथा पुरम इस बात को कहते हैं कि शिवजी के नाम के माहात्म्य का पूर्ण रूप से वर्णन नहीं किया जा सकता। पहले नमः तथा बाद में शिवाय करने पर नमः शिवाय यह पंचाक्षर मंत्र हो जाता है। यह मंत्र सब मंत्रों का राजा है। और इसकी महिमा सबसे श्रेष्ठ है। इस पंचाक्षर मंत्र का जप करके ही सभी देवता ऋषि मुनि सदैव निर्भय रहते हैं और अनेक प्रकार से सुख भोगते हैं। जो प्राणी इस मंत्र का जप करता है, उसके सभी पाप और दोष नष्ट हो जाते हैं तथा शिवजी किसी भी अवस्था में उसके ऊपर अप्रसन्न नहीं होते। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)