यात्रा। नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। इस मौके पर माता के प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर आप पूजा अर्चना कर सकते हैं। वैसे तो पूरे भारत में देवी मां के कई मंदिर हैं जो काफी लोकप्रिय और चमत्कारी माने जाते हैं, लेकिन माता सती के 52 शक्तिपीठों की महिमा अनोखी है। इन्हीं शक्तिपीठों में से एक असम के गुवाहाटी शहर में स्थित है। कामाख्या देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस शक्तिपीठ को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहाँ माता सती की योनि गिरी थी। इसलिए यहां पर माता की योनि स्वरूप की पूजा की जाती है। तो चलिए जानते हैं कामाख्या देवी मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में और नवरात्रि में कामाख्या देवी के दर्शन के लिए जाने के तरीकों और खर्च के बारे में।
कामाख्या देवी मंदिर
सबसे शक्तिशाली शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी मंदिर असम के कामरूप जिले के गुवाहाटी शहर में नीलाचल पहाड़ी पर माता सती के स्थित है। यह मन्दिर नाव के आकार में बना है, जिसे तीन चैंबर में बांटा गया है। जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाने के इच्छुक कई पुरुषों और महिलाओं ने इस प्राची मंदिर में मां की कृपा प्राप्त की है। देवी के अन्य मंदिरों की तरह कामाख्या देवी मन्दिर भी पहाड़ी पर है, जिसकी चढ़ाई के लिए उचित शुल्क पर बुजुर्गों को पालकी की सुविधा मिल सकती है।
कामाख्या देवी मंदिर कैसे पहुंचे?
फ्लाइट-
यदि आपके पास समय कम है तो फ्लाइट से गुवाहाटी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुँच कर कामाख्या मंदिर के लिए जा सकते हैं। गुवाहाटी एयरपोर्ट से मंदिर लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
ट्रेन-
इसके अलावा ट्रेन से सफर कर रहे हैं तो शहर मे ही कामाख्या स्टेशन है। हालांकि दूर दराज के सभी शहरों और महानगरों से आने वाली ट्रेन गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पर पहुंचती है। यहाँ से आप कामाख्या देवी मंदिर का रास्ता तय कर सकते हैं।
स्थानीय परिवहन-
रेलवे स्टेशन से मंदिर लगभग 8 किलोमीटर की दूरी पर है। स्टेशन से ही आपको ऑटो, टैक्सी और बस मिल जायेगी।
कामाख्या देवी के सफर का खर्च :-
नवरात्रि से एक हफ्ते पहले तक दिल्ली से गुवाहाटी का फ्लाइट टिकट आपको 4 से 6 हजार में मिल जायेगा। ट्रेन के टिकट के लिए 800 से 4000 रुपये तक खर्च करने पड़ सकते हैं। वहाँ ठहरने के लिए 800 से 2000 में अच्छे होटल में कमरा, धर्मशाला और बजट में खाने की अच्छी व्यवस्था रहेगी।