योग। योग स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है, लेकिन योग को न समझने वाले लोग इसे फायदों और असर पर सवाल उठाते हैं। हालांकि वैज्ञानिक शोध प्राणायाम के लाभों और सटीकता की पुष्टि करते हैं। सबसे फेमस प्राणायामों में से एक है अनुलोम विलोम प्राणायाम। किसी भी योग के अभ्यास के लिए सबसे जरूरी है, उस आसन को सही तरीके से करना। हालांकि अक्सर लोग गलत तरीके से योगाभ्यास करते हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम को आसान अभ्यास समझा जाता है, जिसमें नाक से सांस खींच कर दूसरे नथुने से छोड़ा जाता है। लेकिन ये सही तरीका नहीं है। इस योग को नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते है और नाम के अनुरूप ही इस योग का अभ्यास करते हैं। तो आइए अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका और इसके फायदे के बारें में जानते है।
अनुलोम विलोम के अभ्यास का सही तरीका
अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले मैट पर पद्मासन या सुखासन की स्थिति में बैठ जाएं। इसके बाद रीढ़ और गर्दन को सीधा रखते हुए आंखें बंद कर लें और ध्यान लगाएं। अब कलाइयों को घुटनों पर टिकाकर दाहिने हाथ का उपयोग करते हुए मध्यमा और तर्जनी को हथेली की ओर मोड़ें। अंगूठे से दाहिने नथुने को बंद करें और अनामिका को बाएं नथुने पर रखते हुए धीरे-धीरे गहरी श्वास लें। श्वास की गति पर ध्यान केंद्रित करें, फिर अंगूठा छोड़ते हुए अनामिका से बाएं नथुने को बंद करें। दाहिने नथुने से धीरे-धीरे श्वास छोड़ें। इसी क्रिया को दूसरी ओर से करें। इस बार दाएं नथुने से सांस लें और बाएं से श्वास छोड़ें।
इस अभ्यास के फायदे
अनुलोम विलोम प्राणायाम के अभ्यास से कई गंभीर स्वास्थ्य विकार, जैसे हृदय की समस्याएं, गंभीर अवसाद, उच्च रक्तचाप, गठिया, माइग्रेन की समस्या में कमी आती है।
अनुलोम विलोम करने से चिंता, तनाव और अवसाद दूर हो सकता है।
श्वसन विकार जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस ठीक करने में भी अनुलोम-विलोम काफी फायदेमंद है।
एकाग्रता और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है, साथ ही क्रोध, बेचैनी, निराशा और विस्मृति जैसी नकारात्मक भावनाएं दूर होती हैं।
त्वचा में चमक और आंखों की रोशनी बेहतर होती है।
अनुलोम विलोम प्राणायाम योग के अभ्यास से वजन घटाया जा सकता है और मेटाबॉलिज्म ठीक रहता है।