नई दिल्ली। नई दिल्ली में आयोजित आपात स्थितियों के निवारण और रोकथाम के लिए उत्तरदायी शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों के विभाग प्रमुखों की बैठक की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अध्यक्षता की। इसमें सदस्य देशों के विभाग प्रमुखों ने आपातकालीन स्थितियों की रोकथाम और उन्मूलन के संबंध में चर्चा की। एससीओ की स्थापना 2001 में हुई। यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश जो कि भारत, चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं।
गृह मंत्री द्वारा बताया गया कि कुछ सालो में, SCO क्षेत्र को भारी आर्थिक नुकसान वाली भीषण प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में आपदाओं के बीच साफ तौर पर कोई सबंध ना होने के बावजूद भी आपदाओं के निवारण की चुनौतियां, विश्वभर में एक समान हैं और इसीलिए, हमें एक-दूसरे से सीखने, नवाचार करने और आपसी सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। भारत 2017 में एक पूर्ण सदस्य राज्य के रूप में इस संगठन में शामिल हुआ था और तब से वह सक्रिय जुड़ाव बनाए हुए है। भारत ने हमेशा ही एससीओ सदस्य देशों के पारस्परिक लाभ के प्रस्तावों को शुरू करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस बैठक में सदस्य देशों के प्रतिनिधि ऐसी गंभीर आपात स्थितियों से जुड़ी सूचनाएं साझा करेंगे जो उनकी सीमा में उत्पन्न हुई हैं और उनसे कैसे निपटा गया।
विकसित तकनीकों के सफल उपयोग
केंद्रिय गृह मंत्री द्वारा बताया गया कि प्रभावी कम्युनिकेशन और इनफार्मेशन एक्सचेंज आपात स्थितियों में समय पर विशेष कोऑर्डिनेटेड रेस्पोंस सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। तथा उन्होंने यह भी कहा कि नई और विकसित तकनीकें आपदा रेजिलिएंस क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। SCO के सदस्य देश, तकनीकों, जैसे, अर्ली वार्निंग सिस्टम, डिजास्टर रिस्क एसेसमेंट एंड रिस्पॉस में सुधार के लिए आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, रिमोट सेंसिंग, ड्रोन टेक्नोलॉजी और डाटा एनालिटक्स के सफल उपयोग के क्षेत्र में अपने अनुभव और ज्ञान को साझा कर सकते हैं।
अगले शिखर सम्मलेन
इस बैठक में प्रतिनिधि देशों ने इनोवेटिव तकनीकों पर अपने विचार साझा किए और भविष्य में आपात स्थितियों से बचाव और उनसे निपटने के तरीकों आदि पर चर्चा की। वर्तमान अध्यक्ष, भारत इस साल राज्य प्रमुखों की परिषद के अगले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। इसमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया चार पर्यवेक्षक राज्य हैं। वहीं छह संवाद साझेदार में आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की शामिल हैं।