पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, संतों की बड़ी भारी महिमा है। भक्तों की बड़ी भारी महिमा है। भक्तों और संतो की महिमा को प्रकट करने वाला ग्रंथ है भक्तमाल। हम लोग बड़े भाग्यशाली हैं। हम सबका जन्म भारत की पवित्र धरा पर हुआ है। ऋषि मुनियों की तपस्थली, श्री रामकृष्ण की भी प्राकट्य भूमि, पवित्र भारतवर्ष में जन्म बड़े सौभाग्य की बात है। हम सबको भगवान की कृपा से यह सौभाग्य प्राप्त हुआ है। धर्मशास्त्रों में देवताओं को स्तुति करते हुए दिखाया गया है। अहो अमीषां किम कारि शोभनम् , स्वर्ग में विराजमान देवता भारतवासियों के सौभाग्य की सराहना करते हुए कहते हैं कि- कौन ऐसा शुभ कर्म इन लोगों ने किए थे जिससे भारत की धरा पर इन्हें जन्म प्राप्त हुआ। देवता विचार करके इस निर्णय पर पहुंचते हैं कि भारत की पावन धरा पर जन्म किसी सामान्य पुण्य का फल नहीं है। प्रसन्न येषां स्विदतस्वयं हरिः , निश्चित ही भगवान ने प्रसन्न होकर इनको भारत की धरा पर जन्म दिया है। यैर्जन्मलब्धं नृषु भारताजिरे , कोई ऐसा विचार कर सकता है कि भारत के लिए क्यों कह रहे हैं? कह देते वे भाग्यशाली हैं जिन्होंने अमेरिका या यूरोप की धरती पर जन्म लिया है। भारत में ऐसी कौन सी विशेषता है? भारत में जन्म लेने से सत्संग अत्यंत सरलता से उपलब्ध हो जाता है। भगवान की भक्ति करने का अवसर सहजता पूर्वक प्राप्त हो जाता है।देवता भी भगवत भक्ति एवं सत्संग के लिए तरसते रहते हैं। मुकुन्द सेवौ पयिकं स्पृहः हि नः। हम देवता स्पृहा करते रहते हैं, भगवान की हमें सेवा प्राप्त हो, भगवान की भक्ति प्राप्त हो, भगवान के कथा कीर्तन का अवसर हमें प्राप्त हो। हम देवता स्वर्ग में तड़पते रह जाते हैं, हमें उपलब्ध नहीं होता। भारत की धरा पर तो जन्म के पहले से भक्ति शुरू हो जाती है। माता कथा सुन रही है, बालक की भी श्रवण भक्ति बन गई। माता ने प्रसाद लिया, चरणामृत लिया तो बालक को भी प्राप्त हो गया। गर्भवती माता ने मंदिर की परिक्रमा की, बालक की भी परिक्रमा अपने आप हो गई। अभी छोटे-छोटे बालक कुछ नहीं जानते, मंदिर की देहरी पर रख दिया, संत के युगल चरण में रख दिया, मुख में एक बूंद चरणामृत डाल दिया,अबोध अवस्था से ही भक्ति हो रही है। कबहुंक करि करुणा नर देही। देत ईश विन हेत स्नेही।। भारत की भूमि पर जन्म लेकर के अगर भगवत भक्ति नहीं की गयी तो बाद में पछताना ही पड़ेगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।