agni prime missile test: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने नई पीढ़ी की बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि प्राइम’ का गुरुवार की रात ओडिशा तट के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया। डीआरडीओ के इस परीक्षण के दौरान मिसाइल सभी मानकों पर खरी उतरी। पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव के बीच मिसाइल का यह परीक्षण भारत के रक्षा क्षेत्र के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है।
बैलेस्टिक मिसाइल अग्नि प्राइम को लेकर अधिकारीयों में बताया कि डीआरडीओ की सामरिक बल कमान ने 1,000 से 2,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली इस मिसाइल का पहला ‘प्री-इंडक्शन’ यानी सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने से पहले रात्रिकालीन परीक्षण किया। टेस्ट से पहले रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम जैसे रेंज इंस्ट्रूमेंटेशन को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था, जिसमें दो डाउन-रेंज जहाज शामिल थे। वहीं रक्षा मंत्रालय ने कहा कि परिक्षण ने सभी टारगेट को पूरा किया और इस तरह डीआरडीओ ने इस हथियार को सशस्त्र बलों में शामिल किए जाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
क्या है अग्नि प्राइम खासियत?
अग्नि प्राइम कई उन्नत एवं नई सुविधाओं से युक्त मिसाइल है। इसमें नई प्रणोदन प्रणाली और समग्र रॉकेट मोटर केसिंग के साथ-साथ उन्नत नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली शामिल की गई है। यह एक कैनिस्टर-लॉन्च प्रणाली पर आधारित मिसाइल है।
क्सा होती है कैनिस्टर-लॉन्च सिस्टम?
एक कैनिस्टर-लॉन्च सिस्टम किसी मिसाइल को लॉन्च करने के समय को कम करती है। इसके साथ ही इसकी वजह से मिसाइल का परिचालन भी सुगम होता है। जरूरत पड़ने पर इसे रेल या सड़क मार्ग से आसनी से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकता है।
अन्य विशेषताएं
अग्नि प्राइम अग्नि मिसाइल श्रृंखला की अगली पीढ़ी का उन्नत रूप है। इसकी रेंज 1,000 से 2,000 किलोमीटर है। यह एक बैलिस्टिक मिसाइल है जिसमें दोहरी नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली है। यह अग्नि मिसाइल श्रृंखला की छठी बैलिस्टिक मिसाइल है।
अग्नि प्राइम एक दो चरण वाली मिसाइल है। यह इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत विकसित मिसाइलों की अग्नि श्रृंखला में सबसे नई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस तरह के मिसाइल की कल्पना पूर्व राष्ट्रपति और प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी।
मिसाइल अलग-अलग स्थानों पर कई हथियार ले जाने में सक्षम है। 10.5 मीटर लंबी यह मिसाइल 1.5 टन तक हथियार ले जा सकती है।
क्यों अहम है अग्नि प्राइम का परीक्षण?
यह त्रि-सेवा सामरिक बल कमांड द्वारा आयोजित अग्नि-प्राइम का प्रथम प्री-इंडक्शन नाइट लॉन्च था , जो देश के परमाणु शस्त्रागार को संभालता है। अग्नि-प्राइम धीरे-धीरे एसएफसी के शस्त्रागार में अग्नि-I (700 किमी) मिसाइलों की जगह लेगा, जिसमें पृथ्वी-II (350 किमी), अग्नि-II (2,000 किमी), अग्नि-III (3,000 किमी) और अग्नि-4 (4,000 किमी) बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
नई मिसाइल भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों के किसी खतरे के खिलाफ मजबूती प्रदान करेगी। जहां अग्नि-V पूरे चीन को अपने हमले के दायरे में लाती है, वहीं अग्नि प्राइम को पाकिस्तान को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। अप्रैल में, भारत ने अपने महत्वाकांक्षी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम के हिस्से के रूप में ओडिशा के तट पर एक जहाज से एंडो-वायुमंडलीय इंटरसेप्टर मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक किया था।
आपको बता दे कि पिछले दिसंबर में भारत ने परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था, जो 5,000 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है। अग्नि 1 से 4 मिसाइलों की रेंज 700 किलोमीटर से 3,500 किलोमीटर तक है और उन्हें पहले ही तैनात किया जा चुका है।