पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, भगवत साक्षात्कार के पूर्व की स्थिति- बाबुल बैद्य बुलाया, पकड़ दिखाई मोरी बांह। मूरख वैद्य मरम क्या जाने, पीर करेजे मांह।। जाओ वैद्य घर आपने, हमरो नाम न लेव। मीरा दुखिया विरह की, काहे को औषध देव।। मीरा कहती है- वैद्य जी तुम्हारी दवा से यह रोग मिटने वाला नहीं, जाओ अपने घर, किसी और मरीज को देखो। वैद्य कहता है- महारानी जी, आप चिंता न करो, मेरी दिव्य औषधियां हैं, मैं आपका रोग ठीक कर दूंगा। मीरा जी कहती हैं- तुम्हारी औषधि से, तुम्हारी दवा से यह रोग मिटने वाला नहीं है। वैद्य जी इसके लिये दूसरी औषधि होगी, वैद्य भी दूसरा होगा। कौन ? दर्द की मारी वन वन डोलूं, वैद्य मिला न कोय। मीरा की तब पीर मिटे जब वैद्य सांवरिया होय।। जब मेरा श्याम सुंदर दर्शन की औषधि देगा, तभी यह बीमारी मिटेगी। दुनियां रात भर सोती है और मीरा रात भर रोती है। जो तकिया एक दिन मीरा के शिराने रख दिया गया, वह दूसरे दिन काम नहीं आया, इतना गीला हो गया जैसे किसी ने पानी से डुबोकर निकाला हो। प्रतिदिन मीरा का तकिया बदला जाता था। रात भर के आंसुओं से तकिया एकदम तर हो जाता था। विरह एक अलग बस्तु है और जब तक विरह नहीं जागेगा, तब तक ठाकुर की कृपा नहीं होगी। विरह जागेगा तो कैसे जागेगा ? जब रसिकों के द्वारा भागवत् की कथा सुनी जायेगी और ठाकुर का नाम जपते रहोगे, कीर्तन करते रहोगे। यही हृदय शुद्धि का उपाय है जो कि शास्त्रों द्वारा बताया गया है। भागवत की कथा हमेशा सुनते रहो, हजार काम छोड़कर भी सुनना पड़े तो भी सुनते रहो, मंगल होगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)