Manipur violence: मणिपुर में इंटरनेट बंद करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने हिंसा से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के मंच का इस्तेमाल मणिपुर में तनाव को और बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा जनहित याचिकाओं पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘हम केवल राज्य द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निगरानी कर सकते हैं और अगर अतिरिक्त उपाय किए जा सकते हैं तो कुछ आदेश पारित कर सकते हैं। लेकिन, हम कानून एवं व्यवस्था तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। यह एक मानवीय मुद्दा है और इसे उसी नजरिए से देखने की जरूरत है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हम कल मामले की सुनवाई करेंगे।
बता दें कि कुकी समूहों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने राज्य में बढ़ती हिंसा के बारे में चिंता जताई। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप करने की मांग की है।
गोंसाल्वेस ने आरोप लगाया कि मणिपुर में हिंसा को भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार बढ़ावा दे रही है। उन्होंने राज्य सरकार पर हिंसा में शामिल सशस्त्र समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यह यूएपीए में अधिसूचित सशस्त्र समूहों द्वारा गंभीर वृद्धि का मामला है। इनका उपयोग राज्य द्वारा किया जा रहा है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि हमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार के प्रति सचेत रहना चाहिए। हम कानून और व्यवस्था नहीं चला सकते। यह चुनी हुई सरकार का काम है। कानून व्यवस्था वही देखेगी। उन्होंने गोंसाल्वेस से सुनवाई की अगली तारीख पर बेहतर सुझाव देने का अनुरोध किया।
पिछले हफ्ते कोर्ट ने राज्य सरकार से हिंसा रोकने और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए उठाए गए कदमों पर अद्यतन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था। अदालत ने राज्य की मौजूदा स्थिति पर मुख्य सचिव द्वारा दायर स्थिति रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से मणिपुर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अनुरोध पर विचार करने के लिए भी कहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आवश्यक आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण 10 किलोमीटर का राजमार्ग स्पष्ट हो। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई कल करेगा।