Captain Shubham Gupta: मां, भाई कहीं नहीं गया, वो जिंदा है. मैं उसे जिंदा रखूंगा. कैप्टन शुभम गुप्ता की पुरानी वर्दी पहनकर छोटे भाई ऋषभ ने यह बात की अपनी मां पुष्पा से कही. ऋषभ को शुभम की वर्दी में देख मां का कलेजा फट गया. रोती बिलखती मां से यह कह कर ऋषभ अपने भाई की वर्दी पहन उसका पार्थिव शरीर लेने एयरपोर्ट गया.
राजौरी एनकाउंटर में शहीद हुए कैप्टन शुभम के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए ताजनगरी में बेसब्री से इंतजार हो रहा था. शुक्रवार सुबह जब शुभम का पार्थिव शरीर घर आना था, तो ऋषभ एयरपोर्ट जाने के लिए तैयार हो गया. मां से बोला… मां, मैं जाऊंगा भाई को लेने. फिर ऋषभ ने कैप्टन शुभम की पुरानी वर्दी बक्से से निकाली और पहनकर मां के सामने आ गया. ऋषभ को बड़े भाई की वर्दी में देखकर मां का कलेजा फट गया.
खाई ये कसम
ऋषभ बोला, मां मैं कसम खाता हूं भाई को हमेशा यादों में जिंदा रखूंगा. यह कहकर दोस्त और परिजनों के साथ ऋषभ उस वर्दी को पहन खेरिया हवाई अड्डे की ओर निकल पड़ा. कैप्टन शुभम गुप्ता का पार्थिव शरीर शुक्रवार दोपहर बाद उनके घर पहुंच गया. घर पर एक घंटे तक श्रद्धाजंलि का कार्यक्रम किया गया. इसके बाद कैप्टन के निवास से पैतृक गांव कुआंखेड़ा तक तक पैदल ही पार्थिव शरीर को ले जाया गया. ताजनगरी की सड़कों पर सिर्फ एक ही नारा गूंजता रहा था. ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, शुभम गुप्ता तेरा नाम रहेगा.’
कांपने लगे मां के हाथ-पैर
भारतीय सेना के जवानों ने जब कैप्टन शुभम की वर्दी और तिरंगा सौंपा तो मां के हाथ-पैर कांपने लगे. मानों उनके हृदय पर दुनिया जहां का दुख टूट पड़ा हो. उनके आंसू नहीं थम रहे थे, उन्होंने यही कहा कि मेरे बेटे की आखिरी निशानी तो ले आए, लेकिन उसे लेकर क्यों नहीं आए. इतना कहते ही वर्दी को बेटे की तरह दुलारने लगीं.
मेडल चूमती रही मां
वर्दी पर लगे मेडल चूमती तो कभी उसे सीने से लगा लेतीं. काफी देर तक मां बेटे की आखिरी निशानी को निहारती रहीं. मां की ये दशा देख परिजनों ने हमारा शुभम देश के लिए बलिदान हुआ कहते हुए समझाने की कोशिश की.
बलैया लेकर जांबाज को दी अंतिम विदाई
आगरा के इस लाल की शहादत से हर किसी की आंखें नम थी. अंतिम दर्शन कर लोग कैप्टन शुभम अमर रहे, जिंदाबाद के नारे लगाकर नमन कर रहे थे. भीड़ में ऐसे ही एक महिला भी पहुंची, जिन्होंने जांबाज को बलैया लेकर अंतिम विदाई दी.
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