UP News: उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारीजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय किया जाने के निर्देश दिए है. वहीं इससे पहले महज पांच हजार रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्तसंबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत दी है.
इस दौरान सीएम योगी ने कहा कि अधिक खर्च के कारण अक्सर परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. उन्होंने कहा कि न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किये गए हैं. संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी.
यह होता है विभाजन
आपको बता दें कि विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और उनके मध्य विभाजन होता है. विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी. मतलब अगर दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा/भतीजी हैं, तो वह इसका इस्तेमाल कर सकते है.
यह होता है व्यवस्थापन
व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है. व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अनुसार व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है. यानी संपत्ति अगर परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है.
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