Terror Link Case: जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने टेरर लिंक के चलते जम्मू कश्मीर के 3 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग के एक अर्दली समेत 3 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया. तीनों कर्मचारी अलग-अलग आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं.
जम्मू कश्मीर में यह कार्रवाई उपराज्यपाल की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के एक दिन बाद की गई. बताया जा रहा है कि बर्खास्त कर्मचारियों में शामिल जम्मू कश्मीर पुलिस का एक कांस्टेबल फिरदौस भट्ट पुलिस में रहते लश्कर के लिए काम करता था.
आतंकवाद का समर्थन करने वाले को चुकानी होगी भारी कीमत
13 फरवरी को हुई बैठक में उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और परदे के पीछे छिपे आतंकी तंत्र को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया था. उन्होंने कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. हमें विश्वसनीय खुफिया जानकारी से लैस होने और आतंकवादियों को बेअसर करने तथा नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने की जरूरत है.
फिरदौस अहमद भट पुलिस में रहकर आतंकियों की कर रहा था मदद
बता दें कि बर्खास्त किया गया फिरदौस अहमद भट साल 2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त हुआ और 2011 में कांस्टेबल बन गया. हालांकि उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया, फिलहाल वो कोट भलवाल जेल में बंद है.
कांस्टेबल के रूप में पुष्टि के बाद भट को को इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था, लेकिन उसनक आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया. ऐसे में फिरदौस भट का पर्दाफाश उस वक्त हुआ जब मई 2024 में दो आतंकवादियों- वसीम शाह और अदनान बेग को अनंतनाग में पिस्तौल और हैंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया गया.
जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने इन दोनों आतंकियों को गैर-स्थानीय नागरिकों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था. वहीं, पूछताछ के दौरान फिरदौस भट ने भी सच कबूल किया.
वन विभाग का अर्दली कर रहा था आतंकियों की मदद
वहीं, वन विभाग का अर्दली निसार अहमद खान साल 1996 में वन विभाग में सहायक के तौर पर शामिल हुआ था. आद में उसे अर्दली बना दिया गया था. जांचकर्ताओं के मुताबिक, निसार खान गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और अलगाववादी ताकतों के साथ सहयोग करना शुरू कर दिया. निसार आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए जासूसी करता था, जिसका पहली बार सच उस वक्त सामने आया जब वर्ष 2000 में अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ.
हिजबुल मुजाहिदीन ने हमले को दिया अंजाम
जानकारी के मुताबिक, इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट मारे गए थे. इतना ही नहीं, नासिर खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी. इसके अलावा, नासिर ने विस्फोट में इस्तेमाल आरडीएक्स की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया.
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