असल में किसने बनाए थे गीजा पिरामिड? नई खोज से हुआ बड़ा खुलासा

Discovery: दुनिया के सात अजूबों में से एक गीजा का विशाल पिरामिड है. पिरामिड ऑफ गीजा देखने में बेहद सुंदर और आकर्षक भी है. अब बात इसके निर्माण की किया जाए तो इतने विशाल स्ट्रक्चर को इतने सटीक तरीके से किसने बनाया होगा?  पुरात्वविद हमेशा इस सवाल का जवाब ढूंढते आए हैं. अब तक यही माना जाता रहा है कि पिरामिड को बनाने में कई साल लगे. मिस्र के फराहो ने इसे बनवाने में गुलामों का इस्तेमाल किया होगा.

गीजा का पिरामिड दुनिया के आश्चर्यों में एक

गीजा का विशाल पिरामिड मिस्र के काहिरा के बाहरी इलाके में स्थित है. बताया जाता है ​कि गीजा का महान पिरामिड मिस्र के पुराने साम्राज्य का है, जो 4,000 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसे बनाने में कई साल लगे थे, जिसमें लगभग 2.3 मिलियन पत्थर के ब्लॉक का यूज किया गया था जिसका वजन 6 मिलियन टन था. गीजा का पिरामिड लगभग 98 फीट लंबा और 20 फीट ऊंचा है. अक्सर लोग यह सोचते हैं कि इस पिरामिड को इतने बड़े और सटीक तरीके से कौन बना सकता था? पहले माना जाता था कि इसे गुलामों ने बनाया था. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है, जिससे यह साबित हुआ है कि इसे गुलामों ने नहीं बनाया था.

रैंप के अवशेष भी वैज्ञानिकों को मिले

गीजा के पिरामिड में खोजों तक पहुंचने के लिए टीम को खतरनाक रास्तों से गुजरना पड़ा. इन स्थानों पर पुरानी लेखन शैली में शिलालेख मिले, जिन्हें समझना आसान नहीं था. यह काम सिर्फ ट्रेन्ड एक्सपर्ट्स के लिए था. इसी के साथ इन एक्सपर्ट्स ने बताया कि पिरामिड बनाने के लिए चूना पत्थर 1,000 फीट दूर से लाया गया था. इसके लिए एक विशेष रैंप का यूज किया गया था, जिससे पत्थरों को ऊपर तक लाया गया. इस रैंप के अवशेष भी वैज्ञानिकों को मिले हैं, जो इस प्रक्रिया को समझने में मदद करते हैं. 

एक्सपर्ट्स की टीम ने पिरामिड के अंदर की खोज

पिरामिड बनाने वाले असल में वे पेशेवर श्रमिक थे जो नियमित वेतन पाते थे और एक खास तरीके से काम करते थे. एक्सपर्ट्स की टीम ने गीजा के पिरामिड के अंदर कई जरूरी खोज की हैं. उन्होंने पाया कि पिरामिड के पास कुछ कब्रें हैं, जिनमें पिरामिड बनाने वाले श्रमिकों की मूर्तियां और उनके बारे में शिलालेख मिले हैं.

इन कब्रों से यह साफ हो गया कि ये श्रमिक पिरामिड बनाने में शामिल थे और इन्हें सम्मान दिया गया था. इन कब्रों में श्रमिकों की मूर्तियां और शिलालेख मिले, जो यह बताते हैं कि वे बड़े कुशल कारीगर थे

गुलामों ने नहीं बनाया पिरामिड

डॉक्टर जाही हवास ने एक पॉडकास्ट में बताया कि उनकी खोज के निष्कर्षों से पुष्टि होती है कि गुलामों ने गीजा के पिरामिड को नहीं बनाया था. उन्होंने कहा कि अगर वे गुलाम होते तो उन्हें पिरामिडों के बगल में कभी नहीं दफनाया जाता. इनकी कब्रों में औजारों को रखा गया और इनके नाम भी गुदवाए गए. यह इनके प्रति शासन की ओर से दिखाए गए सम्मान को दिखाता है. यह सम्मान गुलामों को लिए संभव ही नहीं था.

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