मन का मानपत्र स्वार्थ का नहीं, सद्गुणों का प्रतिबिम्ब: दिव्य मोरारी बापू

Puskar: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि मन और मानपत्र- दूसरों से मानपत्र प्राप्त करने की आकांक्षा मत रखो, क्योंकि यह दुनियां स्वार्थों से भरी हुई है, अतः सत्य नहीं है और आज मानपत्र प्रदान करने वाले शायद कल अपमान भी कर सकते हैं।अतः यदि सच्चा मानपत्र प्राप्त करना हो तो उसे अपने मन से ही प्राप्त करने का निश्चय करो, क्योंकि आपका मन ही आपको सही रूप में पहचानता है और उसी से मिला हुआ मानपत्र सत्य होता है।

मन से यदि मानपत्र प्राप्त किया गया तो प्रभु के दरबार में भी सम्मान बढ़ेगा, क्योंकि मन का मानपत्र स्वार्थ का नहीं, अपितु आपके सद्गुणों का प्रतिबिम्ब होगा।इसलिए मानपत्र प्राप्त करने की इच्छा करना ही मत और यदि करो तो अपने मन से ही प्राप्त करने का संकल्प करो।सत्य तो यह है कि मान-अपमान में मन को शान्त रखने वाला ही महान बन सकता सकता है।

भोजन करते समय जूँठा डालने से बढ़कर और कोई पाप नहीं है। सभी हरि भक्तों को पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धनधाम आश्रम से साधु संतों की शुभ मंगल कामना, श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कॉलोनी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, दानघाटी, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवा ट्रस्ट, गनाहेड़ा, पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।

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