Delhi: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 साल पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. यह कार्यक्रम 1 अक्टूबर 2025 को सुबह 10:30 बजे डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित होगा. समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी संघ की सेवा एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान को समर्पित विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे और उपस्थित जनसमूह को संबोधित भी करेंगे.
आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी इस समारोह में मौजूद रहेंगे. यह शताब्दी वर्ष 2025 की विजयदशमी से शुरू होकर 2026 की विजयदशमी तक मनाया जाएगा.
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी स्थापना
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में नागपुर, महाराष्ट्र में स्थापित, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना एक स्वयंसेवक-आधारित संगठन के रूप में हुई थी, जिसका लक्ष्य नागरिकों में सांस्कृतिक जागरूकता, अनुशासन, सेवा और सामाजिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना था.
RSS राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए एक अनूठा जन-पोषित आंदोलन है. इसके उदय को सदियों के विदेशी शासन की प्रतिक्रिया के रूप में देखा गया है, और इसके निरंतर विकास का श्रेय धर्म में निहित भारत के राष्ट्रीय गौरव के इसके दृष्टिकोण की भावनात्मक प्रतिध्वनि को दिया जाता है.
संघ का लक्ष्य भारत का सर्वांगीण विकास
संघ का मुख्य जोर देशभक्ति और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण पर है. यह मातृभूमि के प्रति समर्पण, अनुशासन, संयम, साहस और वीरता का संचार करता है. संघ का अंतिम लक्ष्य भारत का “सर्वांगीण उन्नति” (सर्वांगीण विकास) है, जिसके लिए प्रत्येक स्वयंसेवक स्वयं को समर्पित करता है.
पिछली शताब्दी में RSS ने इन क्षेत्रों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
पिछली शताब्दी में, RSS ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और आपदा राहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. RSS स्वयंसेवकों ने बाढ़, भूकंप और चक्रवात सहित प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और पुनर्वास प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लिया है. इसके अलावा, आरएसएस के विभिन्न सहयोगी संगठनों ने युवाओं, महिलाओं और किसानों को सशक्त बनाने, जन भागीदारी को बढ़ावा देने और स्थानीय समुदायों को मजबूत बनाने में योगदान दिया है.
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